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Monday, November 13, 2017

उत्पन्ना एकादशी के कुछ खास उपाय

उत्पन्ना एकादशी से ही साल की एकादशी की शुरुआत होती है। इसे बहुत ही खास माना जाता है।   हर साल 24 एकादशी होती है। जिसे अपने-अपने नामों से जाना जाता है। मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष के दिन पड़ने वाली एकदाशी को उत्पन्ना एकादशी के रुप में मनाया जाता है। इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था। जिसे उत्पन्ना एकादशी के रुप में मनाया जाता है।



एकादशी का व्रत नित्य और काम्य दोनों है। नित्य का मतलब है, जो व्रत गृहस्थ के लिए करना जरूरी हो और काम्य व्रत का मतलब है- जो किसी वांछित वस्तु की प्राप्ति, यानी कि जो ऐश्वर्य, संतति, स्वर्ग, मोक्ष की प्राप्ति के लिये किया जाये। जानिए आखिर एस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी क्यों पड़ा। इसके पीछे क्या है पौराणिक कथा।

एक बार मार्गशीर्ष मास की एकादशी के दिन असुरों से युद्ध के समय थकने पर भगवान विष्णु आराम करने बद्रिकाश्रम चले गये। वहां जब भगवान निद्रा अवस्था में थे, तो मुर नामक राक्षस ने उन्हें मारने का प्रयास करना चाहा, तभी विष्णु जी के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ।

उन्होंने मुर नामक उस राक्षस का वध कर दिया। तब देवी से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी उत्पत्ति एकादशी के दिन हुई है, इसलिए तुम्हें एकादशी के नाम से जाना जायेगा और इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी होगा और जो व्यक्ति इस दिन व्रत करेगा, उसे हर तरह के मोह से छुटकारा मिलेगा और वह जीवन में तरक्की की सीढ़ी चढ़ता जायेगा।



एकादशी का व्रत नित्य और काम्य दोनों है। नित्य का मतलब है, जो व्रत गृहस्थ के लिए करना जरूरी हो और काम्य व्रत का मतलब है- जो किसी वांछित वस्तु की प्राप्ति, यानी कि जो ऐश्वर्य, संतति, स्वर्ग, मोक्ष की प्राप्ति के लिये किया जाये। यहां यह बात समझनी बहुत जरूरी है कि दोनों पक्षों की एकादशी पर व्रत केवल उनके लिये नित्य है, जो गृहस्थ नहीं है। गृहस्थों के लिये व्रत केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ही नित्य है, कृष्ण पक्ष में नहीं।


  1. अगर आप जल्दी ही किसी नये काम की शुरुआत करने जा रहे हैं, कोई नया बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हैं तो आज के दिन भगवान विष्णु को अपने हाथों से बनी 21 पीले फूलों की माला बनाकर चढ़ाएं। धागे में एक-एक फूल पिरोते समय अपने काम की अच्छी शुरुआत के लिये भगवान से आशीर्वाद मांगे, आपके काम निश्चय ही पूरे होंगे।
  2. आपका सुख सौभाग्य हमेशा बना रहे, आपके जीवनसाथी की दिन-दुनी रात-चौगनी तरक्की होती रहे, इसके लिये आज के दिन लक्ष्मी मन्दिर में जाकर सोलह श्रृंगार के सामान से देवी को अपने हाथों से सजाएं और खोये से बनी मीठाई का भोग लगाएं।
  3. आपके शत्रु आपके निकट न आ सके, वे आपका अहित करने से पहले सौ बार सोचें, इसके लिये आज के दिन केसर और मिश्री मिले दूध से भगवान विष्णु को भोग लगाएं और भोग लगाते समय 'ऊँ मधुसूदनाय नमः' मंत्र का जाप करें।
  4. अच्छे स्वास्थ्य के लिये, बुरी नजर से बचाव के लिये आज के दिन एक रुपये का सिक्का लें और उसे पूजा से पहले भगवान विष्णु के चरणों में रख दें। पूजा के बाद उस सिक्के पर तिलक लगाकर अपनी जेब में रख लें। आपकी सेहत अच्छी बनी रहेगी।
  5. आपका सुख सौभाग्य हमेशा बना रहे, आपके जीवनसाथी की दिन-दुनी रात-चौगनी तरक्की होती रहे, इसके लिये आज के दिन लक्ष्मी मन्दिर में जाकर सोलह श्रृंगार के सामान से देवी को अपने हाथों से सजाएं और खोये से बनी मीठाई का भोग लगाएं।
  6. आपके शत्रु आपके निकट न आ सके, वे आपका अहित करने से पहले सौ बार सोचें, इसके लिये आज के दिन केसर और मिश्री मिले दूध से भगवान विष्णु को भोग लगाएं और भोग लगाते समय 'ऊँ मधुसूदनाय नमः' मंत्र का जाप करें।
  7. अच्छे स्वास्थ्य के लिये, बुरी नजर से बचाव के लिये आज के दिन एक रुपये का सिक्का लें और उसे पूजा से पहले भगवान विष्णु के चरणों में रख दें। पूजा के बाद उस सिक्के पर तिलक लगाकर अपनी जेब में रख लें। आपकी सेहत अच्छी बनी रहेगी।
  8. आपका सुख सौभाग्य हमेशा बना रहे, आपके जीवनसाथी की दिन-दुनी रात-चौगनी तरक्की होती रहे, इसके लिये आज के दिन लक्ष्मी मन्दिर में जाकर सोलह श्रृंगार के सामान से देवी को अपने हाथों से सजाएं और खोये से बनी मीठाई का भोग लगाएं।
  9. आपके शत्रु आपके निकट न आ सके, वे आपका अहित करने से पहले सौ बार सोचें, इसके लिये आज के दिन केसर और मिश्री मिले दूध से भगवान विष्णु को भोग लगाएं और भोग लगाते समय 'ऊँ मधुसूदनाय नमः' मंत्र का जाप करें।
  10. अच्छे स्वास्थ्य के लिये, बुरी नजर से बचाव के लिये आज के दिन एक रुपये का सिक्का लें और उसे पूजा से पहले भगवान विष्णु के चरणों में रख दें। पूजा के बाद उस सिक्के पर तिलक लगाकर अपनी जेब में रख लें। आपकी सेहत अच्छी बनी रहेगी।

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