मंगल 13 अक्टूबर 2017 को कन्या राशि में आया है, यहां यह 30 नवंबर 2017 तक रहेगा, वहीं 26 अक्टूबर को शनि भी धनु राशि में आया है। इस प्रकार कन्या और धनु में होने के कारण ये दोनों ग्रह आमने-सामने आ गये हैं जिसे ‘दृष्टिसंबंध’ कहा जाता है और इससे कई प्रकार के नकारात्मक योग बनते हैं।
मंगल को ‘अग्नि ग्रह’ कहा जाता है जो स्वभाव में बेहद हिंसक है तथा शनि एक क्रूर ग्रह है जिसे तेल पसंद है। इस प्रकार भी देखें तो जब भी आग और तेल मिलेंगे, उससे विध्वंस ही होगा। इसलिए इन दोनों ग्रहों में किसी भी प्रकार का अंतर्संबंध बनना ना सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में उत्पात मचाता है, बल्कि देश-दुनिया में भी हिंसक तथा उत्पाती घटनानों में वृद्धि होती है।
शनि-मंगल में बना यह दृष्टिसंबंध राष्ट्रीय तथा अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध, आतंकी घटनाएं बढ़ाएगा तथा प्राकृतिक आपदाओं का कारण भी बन सकता है। आगे हम आपको बता रहे हैं कि राशि अनुसार इसका आप पर क्या असर होगा।
आपके द्वितीय भाव में मंगल होगा जो मारक योग बनाता है। इसके अलावा पंचम भाव में शनि के होने से यह आपको धन तथा संतान पक्ष से कष्ट या हानि हो सकती है। अत: इन दो बातों के लिए विशेष सावधान रहें, किसी से भी अनावश्यक विवाद करने से बचें।
मंगल द्वादश तथा शनि तृतीय भाव में होने के कारण आपके खर्च बढ़ेंगे तथा छोटे भाई-बहनों से बड़ा मनमुटाव हो सकता है। मान-प्रतिष्ठा तथा सामजिक सम्मान में भी कमी आ सकती है।
मंगल को ‘अग्नि ग्रह’ कहा जाता है जो स्वभाव में बेहद हिंसक है तथा शनि एक क्रूर ग्रह है जिसे तेल पसंद है। इस प्रकार भी देखें तो जब भी आग और तेल मिलेंगे, उससे विध्वंस ही होगा। इसलिए इन दोनों ग्रहों में किसी भी प्रकार का अंतर्संबंध बनना ना सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में उत्पात मचाता है, बल्कि देश-दुनिया में भी हिंसक तथा उत्पाती घटनानों में वृद्धि होती है।
शनि-मंगल में बना यह दृष्टिसंबंध राष्ट्रीय तथा अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध, आतंकी घटनाएं बढ़ाएगा तथा प्राकृतिक आपदाओं का कारण भी बन सकता है। आगे हम आपको बता रहे हैं कि राशि अनुसार इसका आप पर क्या असर होगा।
मेष
मंगल इस दौरान आपकी राशि से लग्नेश में होकर छ्ठे तथा शनि दशमेश और लाभेश में जाकर नवम भाव में है। मंगल का इस प्रकार छ्ठे भाव में होना किसी भी प्रकार से शुभ नहीं कहा जा सकता, यह रोग तथा दुर्घटनाओं का होता है। इसलिए इस दौरान यात्रा करने से बचें, इसके अलावा खानपान तथा स्वास्थ्य का भी खास खयाल रखें।वृष
मंगल आपकी राशि से द्वादश तथा सप्तमेश भाव में होगा जो मारक होता है, जबकि शनि इस पूरी अवधि में 8वें भाव में होगा। आपके लिए यह स्थिति अधिक हानिकारक होगी। आचानक कोई विपत्ति का सामना करना पड़ सकता है। व्यापार में नुकसान हो सकता है तथा गुप्त शत्रु भी परेशान करेंगे। यात्रा में दुर्घटना के योग भी बन सकते हैं। इसलिए इन चीजों के लिए विशेष सावधान रहें।मिथुन
शनि आपकी राशि से सप्तम तथा मंगल चतुर्थ भाव में होगा। चौथा घर भूमि तथा वाहन का होता है। मंगल और शनि में आग और तेल का यह मेल आपके लिए भूमि तथा वाहन आदि को लेकर कोई अप्रिय स्थिति पैदा कर सकती है। प्रॉपर्टी संबंधी विवाद में उलझ सकते हैं या वाहन दुर्घटना का शिकार भी हो सकते हैं।कर्क
मंगल आपकी राशि से तृतीय तथा शनि छ्ठे भाव में होंगे। छ्ठा भाव रोग तथा दुर्घटनाओं का होने के कारण यह आपके लिए भी बहुत शुभ तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन कुछ मामलों में यह आपके लिए लाभकारी भी हो सकता है। पर सेहत का खास ध्यान रखें, शत्रुओं से परेशानी भी हो सकती है।आपके द्वितीय भाव में मंगल होगा जो मारक योग बनाता है। इसके अलावा पंचम भाव में शनि के होने से यह आपको धन तथा संतान पक्ष से कष्ट या हानि हो सकती है। अत: इन दो बातों के लिए विशेष सावधान रहें, किसी से भी अनावश्यक विवाद करने से बचें।
कन्या
मंगल इस दौरान आपके लग्न भाव तथा शनि चतुर्थ भाव में होंगे। यह योग आपको को गंभीर स्वास्थ्य परेशानी दे सकता तथा प्रतिष्ठा में कमी हो सकती है। चतुर्थ भाव भूमि तथा वाहन का होने के कारण वाहन चलाने में भी सावधानी बरतें, दुर्घटना हो सकती है।मंगल द्वादश तथा शनि तृतीय भाव में होने के कारण आपके खर्च बढ़ेंगे तथा छोटे भाई-बहनों से बड़ा मनमुटाव हो सकता है। मान-प्रतिष्ठा तथा सामजिक सम्मान में भी कमी आ सकती है।
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