Sunday, February 4, 2018

यशोदा जयंती

मां यशोदा का जन्म दिवस या जयंती फाल्गुन मास की षष्ठी तिथि को मनायी जाती है। दक्षिण भारत में, महाराष्ट्र एवं गुजरात में यशोदा जयंती को माघ मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी की मान्यता मानी जाती है। मां यशोदा तो वात्सल्य की देवी हैं, उनके नाम में ही यश एवं हर्ष को देनी वाली भरा हुआ है। भगवान कृष्ण ने भी उन्हें ही अपनी माता के रूप में इसीलिए चुना।



यशोदा जयंती पुराणिक कथा : 

एक समय माता यशोदा ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। माता ने बोले हे ईश्वर! मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे, मेरे पुत्र के रूप में प्राप्त होंगे। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले काल में में वासुदेव एवं देवकी माँ के घर जन्म लूंगा लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा। समय के साथ ऐसा ही हुआ एवं भगवान कृष्ण देवकी एवं वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए, क्योंकि कंस को मालूम था कि उनका वध देवकी एवं वासुदेव की संतान द्वारा ही होगा तो उन्होंने अपनी बहन एवं वासुदेव को कारावास में डाल दिया. जब कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव उन्हें नंद बाबा एवं यशोदा मैय्या के घर छोड़ आए ताकि उनका अच्छे से पालन पोषण हो सके। तत्पश्चात माता यशोदा ने ही कृष्ण को मातृत्व का सुख दिया।

माता यशोदा एवं कृष्ण की लीलाएं तो जग जाहिर हैं। कभी माखन चोर बने, तो कभी पूतना का वध किया। मां की डांट पड़ने पर अपने मुंह को खोल कर पूरे ब्रह्मांड के दर्शन भी करवा दिए। उनकी ऐसी अद्भुद लीलाएं देख कर मां यशोदा को एहसास हो गया की कृष्ण ही भगवान विष्णु का रूप हैं। वह कृतघ्न हो गयी एवं और भी वात्सल्य से भर गयीं।

भगवान कृष्ण के मंदिरों के साथ ही दुनियाभर में फैले इस्कॉन मंदिरों में भी यशोदा जयंती का त्योहार मनाया जाता है। भागवत पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण, जिन्हें माता देवकी ने जन्म दिया था, उन्हें पिता, वासुदेव ने गोकुल में रहने वाले यशोदा और नंद के हवाले कर दिया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि क्योंकि वे देवकी के भाई, दुष्ट राजा कंस से कृष्ण को बचाना चाहते थे। भगवान कृष्ण के प्रति माता यशोदा के अपार प्यार की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती।

यशोदा जयंती का त्योहार गोकुल में धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान कृष्ण ने माता यशोदा के साथ अपना बचपन बिताया। लोग सामान्य रूप से इस दिन माता यशोदा की कहानी सुनाते हैं कि किस तरह यशोदा, बेटे कृष्ण का ख्याल रखती थीं। श्रीकृष्ण द्वारका के राजा थे जो आज गुजरात में है, इसलिए गुजरात में भी यशोदा जयंती का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग अपने घरों को माता यशोदा और कृष्ण की तस्वीरों से सजाते हैं।


यशोदा जयंती पूजा विधि

आज के दिन मां यशोदा को दिल से याद करें, उनका आवाहन करें एवं उनसे संतान सुख के लिए आशीर्वाद मांगें। मां तो सभी के लिए वात्सल्य से भारी हुई हैं। आपकी मनोकामनाओं को अवश्य पूर्ण करेंगी। अगर आप संतान से सम्बंधित कष्टों से गुजर रहे हैं या फिर संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो आपको आज के दिन प्रातः काल उठ कर स्नान आदि कर स्वच्छ होकर मां यशोदा का ध्यान करना चाहिए एवं कृष्ण के लड्डू गोपाल रूप का ध्यान करना चाहिए। मां को लाल चुनरी चड़ाएं, पंजीरी एवं मीठा रोठ एवं थोड़ा सा मख्खन लड्डू गोपाल के लिए भी भोग के लिए रखें. मन ही मन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें, शुभ होगा।

यशोदा जयंती 2018 शुभ मुहूर्त

षष्ठी तिथि की शुरुआत – 08:05 बजे 5 फरवरी 2018
षष्ठी तिथि संपन्न = 08:00 बजे तक 6 फरवरी 2018

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