ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी भी समय में व्यक्ति, क्षेत्र, देश आदि की परिस्थितियों, घटनाओं पर ग्रहों की दशा, ग्रहों के परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। ग्रहों के उलटफेर के चलते ही व्यक्ति से लेकर देश के जीवन तक में सामान्य से लगने वाले हालात एकदम असामान्य नज़र आने लगते हैं। इस नज़रिये से ग्रहों का राशि परिवर्तन काफी मायने रखता है। ग्रहों में कुछ का परिवर्तन विशेष रूप से मायने रखता है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध और शुक्र इस मामले में बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं माने जाते जबकि शनि, राहू-केतु व बृहस्पति का राशि परिवर्तन बहुत अहम माना जाता है। नव वर्ष 2017 में 26 जनवरी को रात्रि 7 बजकर 31 मिनट पर शनि का राशि परिवर्तन होगा।
वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करने से मकर राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़े साती प्रारम्भ
हो जाएगी । वृश्चिक राशि वाले जातको के लिये यह अंतिम चरण की साढ़े साती होगी तथा तुला राशि
वाले जातक साढ़े साती से मुक्त हो जायेंगे। शनि के धनु राशि मे आते ही कन्या राशि के जातको की
लघु कल्याणि ढ्य्या आरम्भ होगी तथा वृष राशि वाले जातको की अष्ठम शनि की ढ्य्या आरम्भ हो
जायेगी।
शनि को भय , रोग , कर्ज , दुख , दरिद्रता ,विपन्नता, असाध्य व लम्बे चलने वाले रोग , आयु , मृत्यु
तथा बुढापे आदि का कारक ग्रह माना गया है ।
2017 वर्ष मे शनि का गोचर बहुत अस्थिर रहेने वाला है क्योकि यह कुछ समय के लिये वक्री हो कर
पुनः वृश्चिक राशि मे आ जायेगा और दोबारा लगभग ऑक्तूबर तक मार्गी होकर धनु राशि मे प्रवेश
करेगा । शनि का गोचर केवल चंद्र राशि से 3,6,11 भावो मे ही शुभ फल देता है इस प्रकार शनि के धनु
राशि मे आने से कुम्भ ,वृष तथा तुला राशि के जातको को शुभ फल मिलने सम्भव है ।
शनि महाराज विभिन्न राशि वाले जातको को विभिन्न प्रकार के फल देंगे :-
मेष राशि- मेष राशि वाले जातको को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिये अन्यथा उन्हे
स्वास्थ्य सम्बंधित समस्यायो का सामना करना पड सकता है । उच्च शिक्षा के क्षेत्र मे समस्याये आ
सकती है अथवा जातक को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है । आपको जीवन के किसी भी
क्षेत्र मे मनचाही सफलता पाने के लिए अधिक परिश्रम और प्रयास करने पड सकते है । जातक को
आर्थिक हानि सम्भव है ,उसके निर्णयो मे कमी होती है , मति भ्रम की स्थिति बनती है तथा सरकार
से भय रहता है । जातक की मित्रो से अनबन होती है, संतान से कष्ट सम्भव है सन्तान की तरफ से
कष्ट प्राप्त होता है तथा भाग्य मे कमी आती है ।
वृष राशि - शनि के धनु राशि मे गोचर के कारण वृष राशि वाले जातको के लिये अष्टम शनि की ढैय्या
आरम्भ हो जाएगी । शनि का यह गोचर विभिन्न प्रकार की कठिनाई लाता है। जातक को आर्थिक
समस्यायो का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याये उत्पन्न हो सकती है कोई लम्बी
चलने वाली असाध्य बिमारी सम्भव है । यदि आप पहले से ही किसी रोग जैसे ह्रदय रोग आदि से
पीडित है तो विशेषरूप से सावधान रहने की आवश्यकता है । जातक को यात्रायो मे साव्धानी बरतनी
चाहिये । दुर्घटना आदि सम्भव हो सकती है अतः जातक को व्यर्थ की यात्राओ से बचना चाहिये ।
जातक की रुचि गूढ ज्ञान की तरफ हो सकती है । पारिवारिक सुख में कमी आती है व्यर्थ के मतभेद
उत्पन्न हो सकते है भाग्य मे भी कमी होती है । नौकरी आदि के क्षेत्र मे कुछ समस्यायो के साथ प्रगती
हो सकती है ।प्रेम सम्बंधो मे कमी होति है, संतान से वैचारिक मतभेद सम्भव है।जातक को चाहिये कि
किसी भी प्रकार के महत्व्पूर्ण निर्ण्य इस समय मे नही ले ।
मिथुन राशि – मिथुन राशि वाले जातको के लिये शनि का गोचर उनके जीवनसाथी के लिये स्वास्थ
समस्याये ले कर आयेगा ।पति पत्नि के बीच वैचारिक मतभेद भी सम्भव है । स्वय
जातक को यात्राओ मे कष्ट होता है तथा शत्रुओ से समस्याये सम्भव है । जातक की कार्यक्षमता मे वृधि
सम्भव है अतः किसी भी कार्य अथवा योजना को अत्यधिक उत्साह मे आ कर आरम्भ नही करे । यह
समय जातक के कर्मो के फल मिलने का समय है अतः शुभ कर्म करे तथा धर्म व न्याय का साथ दे
नही तो समाज मे बद्नामी सम्भव है । धन – सम्पत्ति ,जमीन- जायदाद आदि से सम्बंधित निर्ण्य सोच-
समझ कर ले ।
कर्क राशि – कर्क राशि के जातको के लिये शनि छटे भाव मे गोचर करेगा । चंद्र राशि से शनि का गोचर
छटे भाव मे शुभ फल देने वाला कहा जाता है । जातक की आयु मे वृधि होती है । उसका गूढ ज्ञान
एवम परा विढ्या मे भी रुचि बढती है । जातक की रुचि यात्राओ मे होती है । जातक के नौकरी से
सम्बंधित कार्यो मे प्रगति होती है । पराक्रम मे वृधि होती है । वह अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता
है ।
सिंह राशि - सिंह राशि वाले जातको के लिये शनि का गोचर उनके पंचम भाव मे होगा ।इस स्थिति मे
जातक की बुधि भ्रमित रहती है , निर्णयो मे कमी आती है । धन का नाश होता है । जातक के परिवार
से वैचारिक मतभेद हो सकते है । जातक के मित्रो और प्रियजनो को कष्ट होना सम्भव होता है । अपनी
वाणी को संयम मे रखें तथा झूट बोलने से बचें । संतान सम्बंधित फैसले सोच- समझ कर लें । जातक
व्यापार या विवाह से सम्बंधित कोइ महत्व्पूर्ण फैसला कर सकता है ।
कन्या राशि – कन्या राशि वाले जातको के लिये शनि चतुर्थ भाव मे गोचर करेगा अर्थात कन्या राशि
वालो की लघु कल्याणि ढैय्या आरम्भ हो जायेगी । यदि जातक का पहले से ही कोई पारिवारिक भूमि
सम्पत्ति का मामला कोर्ट में चल रहा है तो उसके बढ़ने की सम्भावना है । जातक के शत्रुओ मे भी वृधि
होती है । वाहन आदि सावधानी से चलायें अन्यथा दुर्घटना हो सकती है । साथ ही स्थान परिवर्तन और
कार्य –व्यवसाय मे भी परिवर्तन हो सकता है । जातक को अपने स्वास्थ्य व अपनी माता के स्वास्थ्य
का ध्यान रखना चाहिये । आपको भूमि- सम्पत्ति से जुढे फैसले सोच- समझ कर लेने चाहिये ।
तुला राशि - तुला राशि वाले जातको के लिये शनि का गोचर तीसरे भाव मे होगा ।चंद्र राशि से तीसरे
भाव मे शनि का गोचर शुभ फल देने वाला होता है । परन्तु यदि आप सम्पत्ति बेचना चाहते है तो किसी
प्रकार का फायदा नहीं होने की उम्मीद है । जातक को संतान की प्राप्ति होती है, विढ्या की प्राप्ति होती
है , उसका भाग्य प्रबल होता है । जातक लम्बी दूरी की तथा कम दूरी की दोनों प्रकार की यात्राये तथा
विदेश यात्राये करता है । जातक का अपने छोटे भाई – बहनों से लगाव बढ जाता है । दूर-संचार के
माध्यम से कोई शुभ सूचना प्राप्त होती है ।
वृश्चिक राशि - वृश्चिक राशि के जातकों के लिये शनि का गोचर धनु राशि मे द्वितिय भाव मे होगा
। यह इनके लिये उतरती हुई साढ़े साती होगी । जातक के अपने छोटे भाई- बहनों से मतभेद रहेंगे तथा
जातक अपने मित्रजनों व् प्रियजनो के साथ अन्याय करता है ।उसके अपने कुटुम्ब से वैचारिक मतभेद
की स्थिति बनती है । जातक को धन संचय मे कठिनाई आती है । माता के स्वास्थय पर भी विपरीत
प्रभाव देखने को मिलता है । इस समय जातक किसी प्रकार की कोई लम्बी investment नहीं करे तो
अच्छा है । जातक को अनयास ही अपने कार्यों मे बाधायें व समस्यायें उत्पन्न हो जाती है । इस समय
जातक को अपनी वाणी पर सयम रखना चाहिये ।
धनु राशि – धनु राशि वाले जातकों के लिये यह दूसरे चरण की साढ़े साती है । अग्नि तत्व होने के
कारण इस राशि के जातकों को साढ़े साती ज्यादा परेशानी देने वाली होती है । इस समय जातक अपने
काम में अत्यधिक व्यस्त होने के कारण परिवार से दूर हो जाता है ,जिस कारण कुटुम्ब को समय नही
दे पाता । जीवनसाथी से अनबन होती है । जातक को कार्य के नये- नये अवसर प्राप्त होते हैं। जातक
के स्वास्थ्य में कमी आती है तथा मानसिक चिंतायें बड़ जाती है । जातक को कार्य के सिलसिले मे
यात्रायें करनी पड्ती है ।
मकर राशि –मकर राशि वाले जातकों के लिये यह प्रथम चरण की साढ़े साती होगी । यह शनि का ही
लग्न है, परंतु चंद्र्मा से व्यय भाव में शनि का गोचर शुभ फल नही देता । जातक के रोग , शत्रु और
ऋण आदि की स्थिति मे वृधि होती है । जातक के व्यय अधिक होते है और धन का संचय कम होता है
। दुर्घटना की भी सम्भावना बनती है । जातक के पैरों मे चोट लग सकती है । भाग्य मे कमी आती है
,पिता को समस्यायें आती हैं । जातक को मानसिक कष्ट बड़ जाते है । व्यर्थ की लम्बी दूरी की यात्रायें
करनी पड़्ती हैं ।
कुम्भ राशि- कुम्भ राशि के जातकों के लिये शनि महाराज का गोचर एकादश भाव में हो रहा है जो
आपके लिये लाभ की स्थिति बनाता है । जातक की किसी कार्य विशेष के लिये की गयी विदेश यात्रा
शुभफलदायक होगी परंतु जातक के अपनी संतान से वैचारिक मतभेद हो सकते है । इस समय आप
अपनी संतान के विषय में जो भी निर्ण्य लेंगे वह शुभ हो सकते हैं । विढ्यर्थियो के लिये लिये यह शुभ
समय है । जातक को मान- सम्मान की प्राप्ति होती है । जातक को अचानक लाभ की सी स्थिति बनती
है । आपकी रुचि गुप्त विढ्या की ओर हो सकती है तथा आपको पैतृक सम्पत्ति से भी लाभ प्राप्त होता
है ।
मीन राशि- मीन राशि के जातकों के लिये शनि का गोचर दशम भाव मे होगा जो जातक के कर्म मे
परिवर्तन बताता है । यदि जातक कर्म /व्यवसाय से सम्बंधित विदेश यात्रायें करता है तो उसे शुभ फलों
की प्राप्ति होती है । आपका विदेश से सम्बंध बनता है । परंतु इस समय जातक को चहिये कि अपने
पैसे कहीं ना फसायें अर्थात कोई investment ना करे । किसी प्रकार की भूमि – सम्पत्ति का क्रय –विक्रय
नही करें । जातक के घर के सुखों मे कमी आती है ,माता व पिता के सुखों मे कमी आती है । जातक
के पारिवारिक सम्बंधों मे भी कमी आती है । जीवनसाथी के स्वास्थय में कमी आती है अथवा उससे
मतभेद की स्थिति बनती है ।
जब भी जीवन में शनि की दशा हो या शनि अगोच्रस्थ हो तो सुन्दर काण्ड का पाठ.हनुमान और
शनि चालिसा का पाठ, दशरथ कृत शनि स्त्रोत्र का पाठ ,शनि मन्दिर मे पूजन दान,तिल, सरसो तेल
से शिवलिगँ का अभिषेक , महामृत्युन्जय जप ,शनि के मँत्र का जप,माँ काली ,कालरात्री की
पूजा,कुता , कोऑ, कबुतर, चीटीँ और गाय को नियमित भोजन दे ,श्री कृष्ण की पूजन , ,अमावस्या
की पूजा की पूजा दान,छाता या जूते का दान करना इनमें से कोई भी उपाय नियमित रूप से करने
से शनि के अशुभ प्रभावो में कमी आती है ।
वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करने से मकर राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़े साती प्रारम्भ
हो जाएगी । वृश्चिक राशि वाले जातको के लिये यह अंतिम चरण की साढ़े साती होगी तथा तुला राशि
वाले जातक साढ़े साती से मुक्त हो जायेंगे। शनि के धनु राशि मे आते ही कन्या राशि के जातको की
लघु कल्याणि ढ्य्या आरम्भ होगी तथा वृष राशि वाले जातको की अष्ठम शनि की ढ्य्या आरम्भ हो
जायेगी।
शनि को भय , रोग , कर्ज , दुख , दरिद्रता ,विपन्नता, असाध्य व लम्बे चलने वाले रोग , आयु , मृत्यु
तथा बुढापे आदि का कारक ग्रह माना गया है ।
2017 वर्ष मे शनि का गोचर बहुत अस्थिर रहेने वाला है क्योकि यह कुछ समय के लिये वक्री हो कर
पुनः वृश्चिक राशि मे आ जायेगा और दोबारा लगभग ऑक्तूबर तक मार्गी होकर धनु राशि मे प्रवेश
करेगा । शनि का गोचर केवल चंद्र राशि से 3,6,11 भावो मे ही शुभ फल देता है इस प्रकार शनि के धनु
राशि मे आने से कुम्भ ,वृष तथा तुला राशि के जातको को शुभ फल मिलने सम्भव है ।
शनि महाराज विभिन्न राशि वाले जातको को विभिन्न प्रकार के फल देंगे :-
मेष राशि- मेष राशि वाले जातको को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिये अन्यथा उन्हे
स्वास्थ्य सम्बंधित समस्यायो का सामना करना पड सकता है । उच्च शिक्षा के क्षेत्र मे समस्याये आ
सकती है अथवा जातक को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है । आपको जीवन के किसी भी
क्षेत्र मे मनचाही सफलता पाने के लिए अधिक परिश्रम और प्रयास करने पड सकते है । जातक को
आर्थिक हानि सम्भव है ,उसके निर्णयो मे कमी होती है , मति भ्रम की स्थिति बनती है तथा सरकार
से भय रहता है । जातक की मित्रो से अनबन होती है, संतान से कष्ट सम्भव है सन्तान की तरफ से
कष्ट प्राप्त होता है तथा भाग्य मे कमी आती है ।
वृष राशि - शनि के धनु राशि मे गोचर के कारण वृष राशि वाले जातको के लिये अष्टम शनि की ढैय्या
आरम्भ हो जाएगी । शनि का यह गोचर विभिन्न प्रकार की कठिनाई लाता है। जातक को आर्थिक
समस्यायो का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याये उत्पन्न हो सकती है कोई लम्बी
चलने वाली असाध्य बिमारी सम्भव है । यदि आप पहले से ही किसी रोग जैसे ह्रदय रोग आदि से
पीडित है तो विशेषरूप से सावधान रहने की आवश्यकता है । जातक को यात्रायो मे साव्धानी बरतनी
चाहिये । दुर्घटना आदि सम्भव हो सकती है अतः जातक को व्यर्थ की यात्राओ से बचना चाहिये ।
जातक की रुचि गूढ ज्ञान की तरफ हो सकती है । पारिवारिक सुख में कमी आती है व्यर्थ के मतभेद
उत्पन्न हो सकते है भाग्य मे भी कमी होती है । नौकरी आदि के क्षेत्र मे कुछ समस्यायो के साथ प्रगती
हो सकती है ।प्रेम सम्बंधो मे कमी होति है, संतान से वैचारिक मतभेद सम्भव है।जातक को चाहिये कि
किसी भी प्रकार के महत्व्पूर्ण निर्ण्य इस समय मे नही ले ।
मिथुन राशि – मिथुन राशि वाले जातको के लिये शनि का गोचर उनके जीवनसाथी के लिये स्वास्थ
समस्याये ले कर आयेगा ।पति पत्नि के बीच वैचारिक मतभेद भी सम्भव है । स्वय
जातक को यात्राओ मे कष्ट होता है तथा शत्रुओ से समस्याये सम्भव है । जातक की कार्यक्षमता मे वृधि
सम्भव है अतः किसी भी कार्य अथवा योजना को अत्यधिक उत्साह मे आ कर आरम्भ नही करे । यह
समय जातक के कर्मो के फल मिलने का समय है अतः शुभ कर्म करे तथा धर्म व न्याय का साथ दे
नही तो समाज मे बद्नामी सम्भव है । धन – सम्पत्ति ,जमीन- जायदाद आदि से सम्बंधित निर्ण्य सोच-
समझ कर ले ।
कर्क राशि – कर्क राशि के जातको के लिये शनि छटे भाव मे गोचर करेगा । चंद्र राशि से शनि का गोचर
छटे भाव मे शुभ फल देने वाला कहा जाता है । जातक की आयु मे वृधि होती है । उसका गूढ ज्ञान
एवम परा विढ्या मे भी रुचि बढती है । जातक की रुचि यात्राओ मे होती है । जातक के नौकरी से
सम्बंधित कार्यो मे प्रगति होती है । पराक्रम मे वृधि होती है । वह अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता
है ।
सिंह राशि - सिंह राशि वाले जातको के लिये शनि का गोचर उनके पंचम भाव मे होगा ।इस स्थिति मे
जातक की बुधि भ्रमित रहती है , निर्णयो मे कमी आती है । धन का नाश होता है । जातक के परिवार
से वैचारिक मतभेद हो सकते है । जातक के मित्रो और प्रियजनो को कष्ट होना सम्भव होता है । अपनी
वाणी को संयम मे रखें तथा झूट बोलने से बचें । संतान सम्बंधित फैसले सोच- समझ कर लें । जातक
व्यापार या विवाह से सम्बंधित कोइ महत्व्पूर्ण फैसला कर सकता है ।
कन्या राशि – कन्या राशि वाले जातको के लिये शनि चतुर्थ भाव मे गोचर करेगा अर्थात कन्या राशि
वालो की लघु कल्याणि ढैय्या आरम्भ हो जायेगी । यदि जातक का पहले से ही कोई पारिवारिक भूमि
सम्पत्ति का मामला कोर्ट में चल रहा है तो उसके बढ़ने की सम्भावना है । जातक के शत्रुओ मे भी वृधि
होती है । वाहन आदि सावधानी से चलायें अन्यथा दुर्घटना हो सकती है । साथ ही स्थान परिवर्तन और
कार्य –व्यवसाय मे भी परिवर्तन हो सकता है । जातक को अपने स्वास्थ्य व अपनी माता के स्वास्थ्य
का ध्यान रखना चाहिये । आपको भूमि- सम्पत्ति से जुढे फैसले सोच- समझ कर लेने चाहिये ।
तुला राशि - तुला राशि वाले जातको के लिये शनि का गोचर तीसरे भाव मे होगा ।चंद्र राशि से तीसरे
भाव मे शनि का गोचर शुभ फल देने वाला होता है । परन्तु यदि आप सम्पत्ति बेचना चाहते है तो किसी
प्रकार का फायदा नहीं होने की उम्मीद है । जातक को संतान की प्राप्ति होती है, विढ्या की प्राप्ति होती
है , उसका भाग्य प्रबल होता है । जातक लम्बी दूरी की तथा कम दूरी की दोनों प्रकार की यात्राये तथा
विदेश यात्राये करता है । जातक का अपने छोटे भाई – बहनों से लगाव बढ जाता है । दूर-संचार के
माध्यम से कोई शुभ सूचना प्राप्त होती है ।
वृश्चिक राशि - वृश्चिक राशि के जातकों के लिये शनि का गोचर धनु राशि मे द्वितिय भाव मे होगा
। यह इनके लिये उतरती हुई साढ़े साती होगी । जातक के अपने छोटे भाई- बहनों से मतभेद रहेंगे तथा
जातक अपने मित्रजनों व् प्रियजनो के साथ अन्याय करता है ।उसके अपने कुटुम्ब से वैचारिक मतभेद
की स्थिति बनती है । जातक को धन संचय मे कठिनाई आती है । माता के स्वास्थय पर भी विपरीत
प्रभाव देखने को मिलता है । इस समय जातक किसी प्रकार की कोई लम्बी investment नहीं करे तो
अच्छा है । जातक को अनयास ही अपने कार्यों मे बाधायें व समस्यायें उत्पन्न हो जाती है । इस समय
जातक को अपनी वाणी पर सयम रखना चाहिये ।
धनु राशि – धनु राशि वाले जातकों के लिये यह दूसरे चरण की साढ़े साती है । अग्नि तत्व होने के
कारण इस राशि के जातकों को साढ़े साती ज्यादा परेशानी देने वाली होती है । इस समय जातक अपने
काम में अत्यधिक व्यस्त होने के कारण परिवार से दूर हो जाता है ,जिस कारण कुटुम्ब को समय नही
दे पाता । जीवनसाथी से अनबन होती है । जातक को कार्य के नये- नये अवसर प्राप्त होते हैं। जातक
के स्वास्थ्य में कमी आती है तथा मानसिक चिंतायें बड़ जाती है । जातक को कार्य के सिलसिले मे
यात्रायें करनी पड्ती है ।
मकर राशि –मकर राशि वाले जातकों के लिये यह प्रथम चरण की साढ़े साती होगी । यह शनि का ही
लग्न है, परंतु चंद्र्मा से व्यय भाव में शनि का गोचर शुभ फल नही देता । जातक के रोग , शत्रु और
ऋण आदि की स्थिति मे वृधि होती है । जातक के व्यय अधिक होते है और धन का संचय कम होता है
। दुर्घटना की भी सम्भावना बनती है । जातक के पैरों मे चोट लग सकती है । भाग्य मे कमी आती है
,पिता को समस्यायें आती हैं । जातक को मानसिक कष्ट बड़ जाते है । व्यर्थ की लम्बी दूरी की यात्रायें
करनी पड़्ती हैं ।
कुम्भ राशि- कुम्भ राशि के जातकों के लिये शनि महाराज का गोचर एकादश भाव में हो रहा है जो
आपके लिये लाभ की स्थिति बनाता है । जातक की किसी कार्य विशेष के लिये की गयी विदेश यात्रा
शुभफलदायक होगी परंतु जातक के अपनी संतान से वैचारिक मतभेद हो सकते है । इस समय आप
अपनी संतान के विषय में जो भी निर्ण्य लेंगे वह शुभ हो सकते हैं । विढ्यर्थियो के लिये लिये यह शुभ
समय है । जातक को मान- सम्मान की प्राप्ति होती है । जातक को अचानक लाभ की सी स्थिति बनती
है । आपकी रुचि गुप्त विढ्या की ओर हो सकती है तथा आपको पैतृक सम्पत्ति से भी लाभ प्राप्त होता
है ।
मीन राशि- मीन राशि के जातकों के लिये शनि का गोचर दशम भाव मे होगा जो जातक के कर्म मे
परिवर्तन बताता है । यदि जातक कर्म /व्यवसाय से सम्बंधित विदेश यात्रायें करता है तो उसे शुभ फलों
की प्राप्ति होती है । आपका विदेश से सम्बंध बनता है । परंतु इस समय जातक को चहिये कि अपने
पैसे कहीं ना फसायें अर्थात कोई investment ना करे । किसी प्रकार की भूमि – सम्पत्ति का क्रय –विक्रय
नही करें । जातक के घर के सुखों मे कमी आती है ,माता व पिता के सुखों मे कमी आती है । जातक
के पारिवारिक सम्बंधों मे भी कमी आती है । जीवनसाथी के स्वास्थय में कमी आती है अथवा उससे
मतभेद की स्थिति बनती है ।
जब भी जीवन में शनि की दशा हो या शनि अगोच्रस्थ हो तो सुन्दर काण्ड का पाठ.हनुमान और
शनि चालिसा का पाठ, दशरथ कृत शनि स्त्रोत्र का पाठ ,शनि मन्दिर मे पूजन दान,तिल, सरसो तेल
से शिवलिगँ का अभिषेक , महामृत्युन्जय जप ,शनि के मँत्र का जप,माँ काली ,कालरात्री की
पूजा,कुता , कोऑ, कबुतर, चीटीँ और गाय को नियमित भोजन दे ,श्री कृष्ण की पूजन , ,अमावस्या
की पूजा की पूजा दान,छाता या जूते का दान करना इनमें से कोई भी उपाय नियमित रूप से करने
से शनि के अशुभ प्रभावो में कमी आती है ।
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