सूर्य के धनु राशि में होने से सभी शुभ काम वर्जित हैं, लेकिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सभी मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे। मकर संक्रांति से खरमास समाप्त हो जाएगा। रविवार की दोपहर से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होगा। इस योग में किए शुभ काम सिद्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही 14 जनवरी को त्रयोदशी तिथि में गुरु और मंगल ग्रह तुला राशि में एक साथ रहेंगे, जिससे पारिजात योग बनेगा। ये दोनों ही योग दुर्लभ और मंगलकारी हैं।
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है, तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।
यानी यह त्योहार प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और खेती से जुड़ा है और इन्हीं तीन चीजों को जीवन का आधार भी माना जाता है। प्रकृति के कारक के तौर पर इस दिन सूर्य की पूजा होती है और सूर्य की स्थिति के अनुसार ऋतुओं में बदलाव होने के साथ ही धरती अनाज पैदा करती है।
इस मौके पर इलाहाबाद (प्रयाग) के संगम स्थल पर हर साल लगभग एक मास तक माघ मेला लगता है, जहां लोग कल्पवास भी करते हैं। बारह साल में एक बार कुंभ मेला लगता है, यह भी लगभग एक महीने तक रहता है। इसी तरह 6 बरसों में अर्धकुंभ मेला भी लगता है। मकर संक्रांति के मौके पर बंगाल में गंगा सागर मेला लगता है।
इस बार मकर संक्रांति को लेकर पंचांग भेद सामने आए हैं। कुछ पंचांग में सूर्य का राशि परिवर्तन 14 जनवरी की दोपहर 2 बजे के बाद होगा, जबकि कुछ पंचांग में रात 8 बजे बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। हालांकि ज्यादातर पंचांग में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाना श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होगा, साथ ही सर्वार्थ सिद्धि और पारिजात योग भी बन रहा है। ये योग शुभ और मंगलकारी माने जाते हैं। ज्योतिषों के मुताबिक ऐसा 6 साल बाद हो रहा है कि रविवार को ही मकर संक्रांति पड़ रही है। इसके साथ ही संक्रांति पर्व पर मूल नक्षत्र, सिंह लग्न और ध्रुव योग के संयोग शुभ फल प्रदान करने वाले हैं। साथ में इस दिन प्रदोष होने से रवि प्रदोष का भी संयोग बनेगा।
मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण आते हैं। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान का बहुत महत्व है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रात: काल जल्दी उठकर उबटन लगाकर किसी भी तीर्थ स्थान के जल से स्नान करना चाहिए। अगर तीर्थ का जल उपलब्ध ना हो तो आप दूध या दही से भी स्थान कर सकते हैं। स्नान करने के उपरांत अपने आराध्य देव या देवी की उपासना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
पूजन के बाद दान जरूर करें। कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। मकर संक्रान्ति के दिन तिल, गुड़, कंबल, खिचड़ी दान का खास महत्व है। हालांकि इस दिन राशि अनुसार दान करने की महिमा ज्यादा बताई गई है। दरअसल, संक्रांति में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का असर हर राशि पर अलग होता है, इसलिए ऐसा माना जाता है।
मकर संक्रांति पर क्यों करते हैं तिल का प्रयोग
धार्मिक अनुष्ठानों में तिल का प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह शनि का द्रव्य है। मकर संक्रांति पर सूर्य एक माह शनि की राशि मकर में रहते हैं। शनि न्याय और पूर्व जन्म के पापों का प्रायश्चित करवाते हैं। तिल के दान का यही महत्व है कि पूर्व जन्म के पापों और ऋण का तिल दान शमन करता है। गरीबों में तिल के लड्डू बांटने से व्याधि का नाश होता है और मुकदमे में विजय मिलती है। राहु और केतु भी शनि के शिष्य हैं। अतः राहु और केतु की पीड़ा भी तिल दान समाप्त करता है। वहीं तिल के दान से शनि,राहु और केतु के दोष दूर होते हैं और शनि की साढ़ेसाती के कष्ट से मुक्ति मिलती है। गुड़ के मिश्रित दान से सूर्य और मंगल से पीड़ित दोष भी समाप्त होते हैं। बहते जल में इस माह तिल और गुड़ का प्रवाह करने से कष्ट से मुक्ति मिलती है।
इस मौसम में ठंड पड़ने के कारण तमाम प्रकार के उदर विकार और एसिडिटी की समस्या होती है। तिल एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है और गुड़ गैस के लिए बहुत लाभकारी चीज है। तिल का लड्डू उदर विकार के साथ साथ रक्त को शुद्ध भी करता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। तिल का सेवन प्रत्येक सुबह करना चाहिए और रात में भोजन के पश्चात तिल के 2 लड्डू और गुनगुना पानी ग्रहण करके सोना चाहिए।
मकर संक्रांति पर कुछ काम करने से रोका भी गया है। ये इस प्रकार हैं-
- इस दिन पुण्यकाल में दांत मांजने या बाल धोने से बचना चाहिए।
- इस दिन फसल नहीं काटनी चाहिए और न ही गाय या भैंस का दूध निकालने जैसा काम करना चाहिए।
- इस पुण्य कार्य के दौरान किसी से भी कड़वे बोलना अच्छा नहीं माना गया है।
- इस दौरान आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि किसी भी वृक्ष को नहीं काटें।
- मांस और शराब के सेवन से भी इस दिन बचना चाहिए। खिचड़ी या सात्विक भोजन ग्रहण करें।
राशि के हिसाब से करें दान
मकर संक्रांति पर सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होता है और इसका हर राशि पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो। राशि के अनुसार आपके लिए कौन सा दान फलदायी साबित होगा -
- मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल का दान देना चाहिए।
- वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
- मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल और कंबल का दान करें।
- कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।
- सिंह राशि के लोगों को तांबा और सोने के मोती दान करने चाहिए।
- कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
- तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल का देना चाहिए।
- वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा और तिल दान करना चाहिए।
- मकर राशि के लोगों को गुड़, चावल और तिल दान करने चाहिए।
- धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल और गुड़ का दान करना चाहिए।
- कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी और तिल का दान चाहिए।
- मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल और तिल दान देने चाहिए।
राशियों पर कैसा रहेगा मकर संक्रांति के इन दोनों योग का असर-
मेष- मेष राशि वालों को इस दिन धर्म लाभ मिलेगा और कार्यों में सफलता मिलेगी।
वृष- इस राशि के लोगों को रोग होने के योग हैं। अनजाना भय रहेगा। सूर्य को जल चढ़ाएं।
मिथुन- इन लोगों के लिए धन का अपव्यय होने के योग हैं। मान-सम्मान प्राप्त होगा।
कर्क- कर्क राशि के लोगों को शारीरिक कष्ट हो सकता है। इष्टदेव की पूजा करें और गरीबों को धन का दान करें।
सिंह- इस राशि के लोगों को शासकीय कार्यों में लाभ मिल सकता है।
कन्या- घर-परिवार में वाद-विवाद हो सकते हैं। यात्रा में कष्ट हो सकता है। गाय की हरी घास खिलाएं।
तुला- तुला राशि के लोगों को लाभ मिलने के योग हैं, लेकिन मानसिक कष्ट भी हो सकता है।
वृश्चिक- इन लोगों को नौकरी में कोई पद लाभ मिल सकता है, जिससे संतोष रहेगा।
धनु- किसी करीबी रिश्तेदार से विवाद हो सकता है। गरीबों को काले तिल का दान करें।
मकर- वैवाहिक जीवन में कलह हो सकती है। जीवन साथी के साथ किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
कुंभ- कुंभ राशि वालों का मानसिक तनाव बढ़ सकता है। शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं।
मीन- घर-परिवार और समाज में मान सम्मान बढ़ेगा।
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