Thursday, September 28, 2017

माँ सिद्धिदात्री

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।



मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है। इनके नाम इस प्रकार हैं-

माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है।

प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह माँ सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करे। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो। इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।

अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री माँ के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से माँ भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। माँ भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती।

माँ के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए भक्त को निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करने का नियम कहा गया है। ऐसा माना गया है कि माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। विश्वास किया जाता है कि इनकी आराधना से भक्त को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा गया है कि यदि कोई इतना कठिन तप न कर सके तो अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर माँ की कृपा का पात्र बन सकता ही है। माँ की आराधना के लिए इस श्लोक का प्रयोग होता है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में नवमी के दिन इसका जाप करने का नियम है।

सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने और नारियल का भोग लगाया जाता है। जो भक्त नवरात्रों का व्रत कर नवमीं पूजन के साथ समापन करते हैं, उन्हें इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हथियार, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है इससे भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

नवमी तिथि को भगवती को धान का लावा अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इस दिन देवी को अवश्य भोग लगाना चाहिए।विशेष:समस्त सिद्धियों की प्राति के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा विशेष मानी जाती है। आठ दिन व्रत, नवमीं पूजा और कन्याओं को भोजन कराने के बाद मां को विदाई दी जाती है। इस दिन आप बैंगनी या जामुनी रंग पहनें। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।

इनका उपासना मंत्र है-

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इस दिन हवन जरुर करें। जिससे कि हर देवी की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी। इस दिन जो आप हवन करें। उस सामग्री में जौ और तिल अवश्य मिलाएं। इसके बाद कन्या पूजन भी करें।

नवरात्र के आखिरी या फिर नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवान्न (नौ प्रकार के अन्न) का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए। इस प्रकार नवरात्र का समापन करने से इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सुखी जीवन के सरल उपाय

प्रातःकाल उठने के बाद स्नान से पूर्व जो आवश्यक विभिन्न कृत्य हैं, शास्त्रों ने उनके लिये भी सुनियोजित विधि-विधान बताया है। गृहस्थ को अपने नित्य-कर्मों के अन्तर्गत स्नान से पूर्व के कृत्य भी शास्त्र-निर्दिष्ट-पद्धति से ही करने चाहिये। अतएव यहाँ पर क्रमशः जागरण-कृत्य एवं स्नान-पूर्व कृत्यों का निरुपण किया जा रहा है।



ब्रह्म-मुहूर्त में जागरण – सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है। “ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”। (ब्रह्ममुहूर्त की पुण्य का नाश करने वाली होती है।)

करावलोकन – आँखों के खुलते ही दोनों हाथों की हथेलियों को देखते हुये निम्नलिखित श्लोक का पाठ करें –
कराग्रे वसति लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्म प्रभाते करदर्शनम्॥

हाथ के अग्रभाग (आगे) में लक्ष्मी, हाट के मध्यभाग में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में ब्रह्माजी निवास करते हैं, अतः प्रातःकाल दोनो हाथों का अवलोकन करना चाहिये।

स्नान – उसके बाद उठकर अपने नित्य नियम अनुसार शौच, दन्तधावन (ब्रश), स्नानादि पूरा करके घर में मन्दिर के सामने बैठ जाये (साथ में जल का लोटा रखे)। तदनन्तर यह मन्त्र बोले –

ॐ अपवित्रं पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरं शुचिः॥

शुद्धिकरण – उसके बाद जल के लोटे में से दायें हाथ से चम्मच द्वारा तीन बार उपरसे जल का आचमन करें, प्रत्येक बार जल के आचमन से पूर्व यह मन्त्र पढ़े –

अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णोः पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते॥ 
ॐ केशवाय नमः। 
अकालमृत्युहरणं ... पुनर्जन्म न विद्यते॥(पूरा मन्त्र)
ॐ माधवाय नमः।
अकालमृत्युहरणं ... पुनर्जन्म न विद्यते॥(पूरा मन्त्र)
ॐ गोविन्दाय नमः।

ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुये बायें हाथ से चम्मच में जल लेकर दायें हाथ को धो लेवें।

श्रीमद्-भगवद्-गीता पाठ – उसके बाद श्री गीता जी का पाठ अवश्य करना चाहिये – अधिक समय न हो तो कम से कम एक अध्याय, कुछ श्लोक अथवा एक श्लोक का अर्थपूर्वक पाठ करना चाहिये।

मन्त्र जप – गीता पाठ के पश्चात् अपने गुरु-मन्त्र का अथवा अपने इष्ट देवता के मन्त्र का तीन माला कम से कम जप करना चाहिये। (गुरु के दिये हुये मन्त्र का ही जप करने से मन्त्र की सिद्धि होती है एवं फल की प्राप्ति होती है।) जप से पूर्व यह माला-मन्त्र द्वारा माला की पूजा करनी चाहिये।

माला मन्त्र

अविघ्नं कुरु माले गृह्णामि दक्षिणे करे।
जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये॥

माला पूरी होने के बाद नीये दिये मन्त्र से चम्मच से एक बार पृथ्वी पर जल छोडकर किया हुआ मन्त्र जप देवता/देवी को समर्पित कर देना है।
गुह्यातिगुह्यगोप्ता त्वं गृहाणऽस्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देव त्वत्प्रसादात् परमेश्वरः॥

(यदि देवी का मन्त्र हो तो गुह्यातिगुह्यगोप्तृ और परमेश्वरी का प्रयोग करें। )

आप अपना जो भी पाठ-जप इत्यादि करतें है वह पूरा कर लीजिये और आसन से उठने पहले, मन्त्र के साथ 21 प्राणायाम करने है।

प्राणायाम – नीचे लिखें मन्त्र का मानसिक जप करते हुये वाम (बाँयी) नासिका से शनैः शनैः श्वास भीतर लेना हैं (पूरक), श्वास भीतर लेने के बाद उसे रोककर (कुम्भक) मानसिक रूप से एक मन्त्र का जप करना है तथा पुनः मन्त्र जप करते हुये धीरे धीरे श्वास को बाहर छोडना है (रेचक)। इसी प्रक्रिया को प्राणायाम में रेचक, पूरक और कुम्भक के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार यह एक प्राणायाम हुआ, ऐसे कम से कम 21 प्राणायाम करने चाहिये। (प्राणायाम मन्त्र अधोनिर्दिष्ट है) –

ॐ भूं ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम्।
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
ॐ आपो ज्योति रसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वरोम्॥

यह तो सुबह का नित्य-नियम हुआ जिसमें अधिकाधिक 30 से 40 मिनट लग सकते है। इसके करने से जीवन में आध्यात्मिक, आधिभौतक एवं आधिदैविक तापों की शान्ति होती है एवं आनन्द की प्राप्ति होती है।

भोजन के समय – जब भी आप भोजन करने बैठते है तब भोजन प्रारम्भ करने से पहले दायें हाथ में ग्लास में से थोड़ा सा जल लेकर यह मन्त्र बोलें

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणाऽहुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना॥

इस ब्रह्मकर्म रूपी यज्ञ में अग्नि भी ब्रह्म ही है, हवि भी ब्रह्म ही है एवं अर्पणकर्ता भी ब्रह्म ही है। इस प्रकार जो सर्वत्र ब्रह्म भावना करता है उसे ब्रह्म भाव की प्राप्ति होती है। भोजन के समय इस मन्त्र का पाठ करने से अन्न के दोष दूर होते हैं।

इस मन्त्र को मानसिक अथवा वाचिक रूप से बोलने के बाद थाली में से पाँच छोटे छोटे ग्रास (कौर, निवाले) खाने चाहिये और प्रत्येक ग्रास के साथ ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा व ॐ उदानाय स्वाहा क्रमशः बोलना चाहिये। हमारे शरीर में पाँच मुख्य प्राण होते है इसलिये यह पञ्च ग्रास आहुति देवताओं को समर्पित करनी चाहिये। यह नियम दोनों समय के भोजन के लिये है।
रात को सोने से पहले अपने इष्टदेव अथवा गुरु चरण-कमल का चिन्तन करना चाहिये।

Tuesday, September 26, 2017

मां कालरात्रि

नवरात्री के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है. ये काल का नाश करने वाली हैं, इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं. नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है. कहा जाता है, इस दिन साधक को अपना चित्त भानु चक्र (मध्य ललाट) में स्थिर कर साधना करनी चाहिए.

संसार में कालों का नाश करने वाली देवी ‘कालरात्री’ ही है. कहते हैं इनकी पूजा करने से सभी दु:ख, तकलीफ दूर हो जाती है. दुश्मनों का नाश करती है तथा मनोवांछित फल देती हैं.
कालरात्रि का रूप
मां दुर्गा के सातवें रूप या शक्ति को कालरात्रि कहा जाता है, दुर्गा-पूजा के सातवें दिन मां काल रात्रि की उपासना का विधान है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, इनका वर्ण अंधकार की तरह काला है, केश बिखरे हुए हैं. कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है. मां कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल और गोल हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें निकलती रहती हैं.
इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वाससे अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं. मां कालरात्रि का यह भय उत्पन्न करने वाला रूप केवल पापियों का नाश करने के लिए. कालरात्रि गर्दभ पर सवार हैं. देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है इसलिए देवी को शुभंकरी भी कहा गया है.
मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए. शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया. परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.
कालरात्रि की पूजा विधि
पूजा विधान में शास्त्रों में जैसा लिखा हुआ है उसके अनुसार पहले कलश की पूजा करनी चाहिए फिर नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. देवी की पूजा से पहले उनका ध्यान करना चाहिए.
दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है. सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं. इस दिन मां की आंखें खुलती हैं. षष्ठी पूजा के दिन जिस विल्व को आमंत्रित किया जाता है उसे आज तोड़कर लाया जाता है और उससे मां की आँखें बनती हैं. दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है. इस दिन से भक्त जनों के लिए देवी मां का दरवाजा खुल जाता है और भक्तगण पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन हेतु पूजा स्थल पर जुटने लगते हैं.
सप्तमी की पूजा सुबह में अन्य दिनों की तरह ही होती लेकिन रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है. इस दिन अनेक प्रकार के मिष्टान एवं कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित कि जाती है. सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है. कुण्डलिनी जागरण हेतु जो साधक साधना में लगे होते हैं वो इस दिन सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं.
इनकी पूजा करने वालों को इस मंत्र से ध्यान करना चाहिए-
'एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता. लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी'
देवी कालरात्रि के मंत्र
1- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां को गुड़ का भोग प्रिय है
सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है.
मां के इस रूप की पूजा करने से बुरे समय का नाश होता है. और इनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

Friday, September 22, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव मीन राशि के लिए

ये गोचर मीन राशि के जातकों की कुंडली के आठवें भाव को प्रभावित करेगा। इस गोचर के प्रभाव से ये जातक फाइनेंस, साझा स्त्रोत, लोन, टैक्स, सेक्सुएलिटी, इंटिमेसी, हीलिंग, व्यक्तिगत परिवर्तन, अनुसंधान, जांच आैर मनोवैज्ञानिक मामलों में लाभ प्राप्त कर सकते है।



गुरु के तुला राशि में गोचर की ये अवधि अपनी अंदरूनी दुनिया पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अनुकूल है। ये किसी रिश्ते की गहरार्इ के बढ़ने के रूप में हो सकता है या अपने अंदरूनी कामकाज को लेकर बढ़ती समझ को लेकर। आपका अंतरंग जीवन आपको आैर अधिक खुशी देने आैर नर्इ खोज करने में विस्तार पा सकता है। आपमें ये प्रवृत्ति अक्टूबर 2017 तक बनी रहेगी आैर आपको इस मौके का अधिकतम उपयोग करते हुए इस अवसर को हथियाना चाहिए।  

आप इच्छाआें आैर भावनाआें की परतों के नए स्तर खोजेंगे। आपकी बातचीत में गहरार्इ होगी। 

वो अवसर जो आपको मिलने वाले है वो अापकी सामाजिक स्थिति, प्रतिष्ठा, कैरियर आदि से संबंधित होंगे। गुरु के तुला में गोचर 2017 की अवधि में आप अपनी महत्वाकांक्षाआें को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। इस अवधि में आप दूसरों की प्रतिभा को पहचान पाएंगे आैर अपने संसाधनों आैर हुनर को व्यवस्थित करने की आेर प्रयत्न करेंगे। आप अपनी पेशेवर जिंदगी से अधिक प्रयोजन आैर लक्ष्य चाह सकते है। आपकी प्रतिष्ठा में भी परिवर्तन आ सकता है। 

सितंबर के बाद से अक्टूबर मध्य तक आप मजबूत अंतरंगता का अनुभव करेंगे। आपको अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पाने का भी मौका मिल सकता है। नवंबर के बाद कुछ आैर अवसर आपको मिल सकते है जो गुरु के गोचर की इस अवधि में अधिक रचनात्मक आैर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अनुमति दे सकता है।  

आपके व्यक्तिगत आैर अांतरिक विकास का है। आप उन दोस्तों आैर लोगों की मदद करेंगे जो आपके करीबी है या किसी परेशानी से गुजर रहे है। आप जिंदगी की गहरी चीजों को समझ पाने में सक्षम होंगे आैर इसके बारे में नया तात्पर्य जानेंगे। गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में आपके आसपास के लोग आपको सहयोग देंगे। 

आप टैैक्स रिफंड या फिर विरासत इत्यादि के जरिए लाभ प्राप्त कर सकते है। आपको साझेदारी के जरिए लाभ मिल सकता है। वैकल्पिक रूप से, गुरु के तुला में गोचर की इस अवधि में आपके जीवनसाथी की आमदनी में वृद्घि हो सकती है।  

Thursday, September 21, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव कुंभ राशि के लिए

कुंभ राशि के जातक इस गोचर की अवधि में यात्रा, पढ़ार्इ, विदेशगमन के अवसर प्राप्त कर सकते है। इसके अलावा आपकी मुलाकात विविध आैर रोमांचक पृष्ठभूमि के लोगों से हो सकती है आैर इस चरण में वे अपने क्षितिज का विस्तार कर सकते है। आप बौद्घिक रूप से अधिक जिज्ञासु हो सकते है।



आपको बिजनेस डीलिंग में मुनाफा मिलने की संभावना है। आैर ये पूर्वानुमान उन बिजनेस डीलिंग में सही साबित होता है जो पब्लिसिटी, प्रमोशन आैर दूरस्थ स्थान से संबद्घ है। वहीं कुछ जातकों का ध्यान अपने बिजनेस से खत्म होकर कहीं आैर नर्इ जगह पर जा सकता है।

गोचर की इस अवधि में कानूनी मसलें भी आपके पक्ष में काम कर सकते है। आपकी लंबे समय से चल रही कानूनी परेशानियां भी हल हो सकती है। कुछ जातक कानूनी सलाह ले सकते है आैर जो उनके लिए काफी मददगार रहेगी। जबकि अन्य जातक कानूनी सलाह लेने के बारे में सोच सकते है।

आप छोटे लक्ष्य प्राप्त करने के पक्ष में नहीं हो सकते है। आप जीवन में व्यापक परिपेक्ष्य देखेंगे। इसके परिणामस्वरूप, मामूली बाधाआें से आप चिंतित या तनावपूर्ण नहीं होंगे। इस अवधि के दौरान आप एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएंगे। इस चरण के दौरान आपको ज्यादा से ज्यादा सीखने की प्रवृत्ति अपनानी चाहिए, क्यूंकि जल्दी ही आपका कैरियर अहम स्थान प्राप्त करने वाला है।

गोचर की इस अवधि में जीवन के प्रति आपका नजरिया बदलने वाला है आैर वो परिपक्वता ले रहा है। दूसरे शब्दों में कहें, तो वो अभी विकसित हो रहा है। आपको दूरस्थ संस्कृतियों आैर दूर स्थान पर रहने वाले लोगों के साथ कनेक्ट होने का अवसर मिल सकता है। ये आपके लिए नए अवसर खोल सकता है आैर व्यक्तिगत रूप से आपका विकास कर सकता है। इस समय आपमें पढ़ाने या ज्ञान बांटने की भावना मजबूत होगी। गुरु के तुला में गोचर की ये अवधि पब्लिसिंग, राइटिंग आैर मीडिया वर्कर्स के लिए भी अच्छी रहेगी। 

आप अपने काैशल को आैर अधिक प्रखर करना चाह सकते है। शैक्षिक ज्ञान आैर अपने अनुभव के प्रयोग से आप अपनी प्रतिभा को निखारना चाहेंगे। आप नए अनुभवों जैसे ट्रेवलिंग, एडवेंजर आैर अन्य संस्कृतियों से जुड़े लोगों के साथ संपर्क साधकर नए अनुभव प्राप्त कर सकते है। इन 13 महीनों में, आपको बहुत सारे लोगों से मिलने आैर अधिक लोगों के साथ अपने विचार साझा करने का अवसर मिल सकता है। गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आप एक नर्इ भाषा सीख सकते है या कोर्इ अन्य दिलचस्प क्षेत्र की पढ़ार्इ कर सकते है।

ये समय आपको दूरस्थ स्थान के लोगों के साथ दोस्ती करने में सहायता करेगा। ये दोस्त आपसे काफी भिन्न हो सकते है यानि वे अलग संस्कृतियों, पृष्ठभूमि  या परिपेक्ष्य के हो सकते है। यह विकास आपको गुरु के गोचर की इस अवधि में मानसिक रूप से आैर अन्य तरीकों से समृद्घ आैर सशक्त बना सकता है। 

गुरु गोचर का प्रभाव मकर राशि के लिए

गुरु का तुला में गोचर मकर राशि के जातकों के लिए सामाजिक पहचान आैर पेशेवर सफलता लाने जा रहा है। आपके व्यक्तित्व, कौशल आैर प्रतिभा को शायद ही कभी इतनी पहचान मिली होगी जितनी इस गोचर में मिलने वाली है। आपको उस कड़ी मेहनत का लाभ मिलने की संभावना है, जो आपने पहले की है।



ये अवधि महत्वपूर्ण विकास जैसे कैरियर में उन्नति, व्यवसाय में सफलता इत्यादि अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां के साथ विशिष्ट होगी। गुरु के तुला में गोचर के दौरान आप बिजनेस से जुड़ी यात्राएं कर सकते है। आपके ज्यादा लोगों के संपर्क में आने की संभावना है। आपकी पब्लिक स्टेटस बेहतरी के लिए बदलेगा। गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में नौकरी में प्रमोशन, नर्इ नौकरी के अवसर, महत्वपूर्ण इनाम या बल्कि शादी की संभावना है। 
 
आप अधिक महत्वाकांक्षी होंगे, जो आपको कैरियर, बिजनेस में प्रगति करने के लिए प्रेरित करेगा। इस चरण में आपके सुर्खियों में रहने की संभावना है। गोचर की इस अवधि में बाहरी दुनिया में आप महत्वपूर्ण उन्नति, प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी आैर पहचान पा सकते है। 

आपके कैरियर में कुछ नए विकास हो सकते है। इस गोचर में आप एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे आैर लोग महत्वपूर्ण मामलों में आपकी सलाह लेंगे। आपमें से कुछ जातक कुछ प्रोजेक्ट पर परोक्ष रूप से काम कर कर सकते है, जो कि अब साझा करने के लिए तैयार होगा। गुरु के राशि परिवर्तन की ये अवधि आशावाद आैर वास्तविकता के बीच एक बेहतर संतुलन बनाए रख पाएंगे। 

आप खुद को एेसी स्थिति में पाएंगे जिस पर आप अच्छे लगते है। आप जो काम करेंगे उस पर आपको गर्व होगा। आपकी प्रतिष्ठा आैर मान-सम्मान में वृद्घि होने की संभावना है। एक अधिकारी आैर जिम्मेदारी संभालने की स्थिति में आप आकर्षक व्यक्तित्व से युक्त यानि प्रभावशाली हो सकते है। आप अपने अभिलषित लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब आ सकते है। आप अपने आप में आैर अधिक विश्वास विकसित करेंगे यानि इससे आप अधिक आत्मविश्वासी होंगे। 

आप स्वयं पर, अपनी योग्यता आैर क्षमताआें पर भरोसा करेंगे। ये आपके लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा। गुरु के राशि परिवर्तन की ये अवधि प्रोफेशनल लेवल पर विस्तार आैर पहचान प्राप्त करने के लिए बेहतरीन है। आप इसका सबसे अच्छा उपयोग कर सकते है। साथ ही, आपको एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए आैर उतने ही काम हाथ में लेने चाहिए जितने आप अच्छे से संभाल सकते है यानि काम को हाथ में लेने से पहले अपने समय आैर ऊर्जा का आंकलन कर लें। 

आपको गपशप या अफवाहों को लेकर चौकस रहना चाहिए। उस स्थिति को लेकर सावधान रहें जो गलतफहमियां बढ़ा सकती है। गुरु के गोचर की इस अवधि में आप अपने परिवार के किसी सदस्य के साथ मतभेद बढ़ा सकते है। 


Wednesday, September 20, 2017

नवरात्रि के 9 भोग

जिस तरह नवरात्र में मां के नौ रूपों की पूजा होती है। ठीक उसी तरह इन नौ देवियों को नौ अलग-अलग भोग चढ़ाए जाते हैं। 



1. पहले दिन गो घृत यानी गाय का घी- नवरात्र की प्रथमा को देवी के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का वरदान मिलता है जिससे शरीर निरोगी रहता है।

2. दूसरे दिन शक्कर- द्वितीया को मां को शक्कर का भोग लगाकर घर में सभी सदस्यों को यह प्रसाद दें। इससे लम्बी आयु का आशीर्वीद मिलता है।



3. तीसरे दिन दूध- नवरात्र के तीसरे दिन दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग मां को लगाकर मंदिर के ब्राह्मण को दान करें। इससे भक्तों को दुखों से मुक्ति मिलती है।

4. चौथे दिन मालपुआ- नवरात्र की चतुर्थी को देवी को मालपुए का भोग लगाएं। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।

5. पांचवें दिन केला- नवरात्र के पांचवें दिन मां को केले का प्रसाद चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।

6. छठे दिन शहद- नवरात्र के छठे दिन को मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे आपकी आकर्षण शक्त्ति का विकास होगा।

7. सातवें दिन गुड़- सातवें दिन मां को गुड़ का भोग लगाकर उसे ब्राह्मण को दान करने से सभी शोकों से मुक्ति मिलती है और अकस्मात आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।

8. आठवें दिन नारियल- आठवीं नवरात्र को मां को नारियल चढ़ाने से संतान सम्बंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

9. नौवें दिन तिल- नवरात्र की नवमी तिथि को माता रानी को तिल का भोग लगाएं। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही किसी अनहोनी से भी रक्षा होगी।





नवरात्रि

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है।


अश्विन पक्ष में आने वाले नवरात्रे शारदीय नवरात्रे भी कहलाते हैं। नवरात्रों की शुरूआत सनातन काल से हुई थी। सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुंद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की तरफ प्रस्थान किया था। फिर उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी, इसलिए दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि अधर्म की धर्म पर जीत, असत्य की सत्य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं।

नौ देवियाँ है :-

शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।




नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है। गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जान पडता है। यह पूरी रात भर चलता है। डांडिया का अनुभव बडा ही असाधारण है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, 'आरती' से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है।



महत्व

नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं। 2017 नवरात्रि महूर्त


जिन घरों में नवरात्रि पर घट-स्थापना होती है उनके लिए शुभ मुहूर्त 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का है। इस दौरान घट स्थापना करना अच्छा होता है।

वैसे नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा वक्त शुरू हो जाता है इसलिए अगर जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाता है तो वो पूरे दिन किसी भी वक्त कलश स्थापित कर सकता है क्योंकि मां दुर्गा कभी भी अपने भक्तों का बुरा नहीं करती हैं।

अभिजीत मुर्हूत 11.36 से 12.24 बजे तक है।देवी बोधन 26 सितंबर मंगलवार को होगा। बांग्ला पूजा पद्धति को मानने वाले पंडालों में उसी दिन पट खुल जाएंगे। जबकि 27 सितंबर सप्तमी तिथि को सुबह 9.40 बजे से देर शाम तक माता रानी के पट खुलने का शुभ मुहूर्त है।

नवरात्र में मां के 9 रूपों की पूजा होती है-

21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा 22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा 24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा 25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा 26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा 27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा 28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा 29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा




नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। त्योहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकि पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है।

नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है। शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है। ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है। इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रीयो को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता हैं और एक दीया देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है। व्यक्ति जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है।

सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती, की पूजा की है। प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं। आठवे दिन पर एक 'यज्ञ' किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है।

नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। ईस दिन पर, कन्या पूजन होता है। उन नौ लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े पेश किए जाते हैं।



कुछ लोग नवरात्रों के अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं और कुछ लोग नवमी के दिन पूजन किया जाता है। कन्या पूजन के बिना नवरात्रों का फल नहीं मिलता है। आप चाहे उपवास ना करें लेकिन नवरात्र के दौरान कन्या पूजन सबसे महत्वपूर्ण है। छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है।

प्रमुख कथा

लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया। यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ। दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग 'कमलनयन नवकंच लोचन' कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी ने प्रकट हो, हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी... भूर्तिहरिणी में 'ह' के स्थान पर 'क' उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और 'करिणी' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में 'ह' की जगह 'क' करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।

इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। और प्रत्याशित प्रतिफल स्वरूप महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा है।[2] तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं थी। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततः महिषासुर-वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं।

धार्मिक क्रिया

नवरात्रि को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है | उसमें पहले तीन दिन तमस को जीतने की आराधना के हैं | दुसरे तीन दिन रजस को और तीसरे दिन सत्त्व को जीतने की आराधना के हैं | आखरी दिन दशहरा है | वह सात्विक, रजस और तमस तीनों गुणों को यानि महिषासुर को मारकर जीव को माया की  जाल से छुड़ाकर शिव से मिलाने का दिन है |

‘श्रीमद देवी भगवत’ शक्ति के उपासकों का मुख्य ग्रन्थ है | उसमें जगदम्बा की महिमा है | शक्ति के उपस्क नवरात्रि में विशेष रूप से शक्ति की आराधना करते हैं | इन दिनों में पूजन-अर्जन, कीर्तन, व्रत-उपवास, मौन, जागरण आदि का विशेष महत्त्व होता है |

नवरात्रि के दौरान कुछ भक्तों उपवास और प्रार्थना, स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए रखते हैं। भक्त इस व्रत के समय मांस, शराब, अनाज, गेहूं और प्याज नही खाते। नवरात्रि और मौसमी परिवर्तन के काल के दौरान अनाज आम तौर पर परहेज कर दिया जाते है क्योंकि मानते है कि अनाज नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता हैं। नवरात्रि आत्मनिरीक्षण और शुद्धि का अवधि है और पारंपरिक रूप से नए उद्यम शुरू करने के लिए एक शुभ और धार्मिक समय है।सनातन धर्म में निर्गुण निराकार परब्रह्म परमात्मा को पाने की योग्यता बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार की उपासनाएँ चलती हैं | उपासना माने उस परमात्म-तत्व के निकट आने का साधन |ऐसे उपासना करनेवाले लोगों में विष्णुजी के साकार रूप का ध्यान-भजन, पूजन-अर्जन करनेवाले लोगों को वैष्णव कहा जाता है और शक्ति की उपासना करनेवाले लोगों को शाक्त कहा जाता है |

साधको के लिए उपासना अत्यंत आवश्यक है | जीवन में कदम-कदम पर कैसी-कैसी मुश्किलें, कैसी-कैसी समस्याएँ आती हैं ! उनसे लड़ने के लिए, सामना करने के लिए भी  बल चाहिए | वह बल उपासना-आराधना से मिलता है |

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामजी ने मानो इसका प्रतिनिधित्व किया है  | सेतुबंध के समय शिव की उपासना करने  के लिए श्रीरामचन्द्रजी ने रामेश्वर में शिवलिंग की स्थापना की थी, युद्ध के पहले नौ दिन चंडी की उपासना की थी, भगवान श्रीकृष्ण ने भी सूर्य की उपासना की थी |

इन अवतारों ने हमे बताया है की अगर आप मुक्ति पाना चाहते हो तो उपासना को अपने जीवन का एक अंग बना लो | बिना उपासना के विकास नही होता है |

अगर मनुष्य अपने मन को नियन्त्रण में रख सके और जिस समय जैसी घटना घटे उसे उचित समझकर अपने चित्त को सम रख सके तो इससे बल बढ़ता है | मन को नियंत्रित करने के लिए हि अलग-अलग दैवो की उपासना की जाती है | दूर शकी की उप कक शाक्त लो अपने चित्त को शांत और एकाग्र करते हैं | शैवपंथी शिव की और वैष्णव लोग विष्णु की उपासना करके चित्त को शांत और एकाग्र करते हैं | कई लोग भगवन सूर्य कई उपासना करके अपने जीवन को तेजस्वी बना लेते हैं तो कई ‘गणपति बापा मोरिया’ करके चित्त को प्रसन्नता और आनंद से भर देते हैं |

उपासना से चित्त शांत और प्रसन्न होता है, उसका बल बढ़ता है, और तभी आत्मज्ञान के वचन सुनने का और पचाने का अधिकारी बनता है | ऐसा अधिकारी चित्त ब्रह्म्वेता महापुरुषों के अनुभव को अपना अनुभव बना लेता है |

Tuesday, September 19, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव धनु राशि के लिए

तुला राशि में गुरु का गोचर धनु राशि के जातकों के जीवन में संपर्कों का विस्तार करने के लिए नर्इ ऊर्जा भरेगा। आप अपने दोस्तों से उनका सहयोग पाने का भरोसा कर सकते है। गुरु के तुला राशि में गोचर की इस लाभदायी अवधि में आपके दोस्तों की संख्या बढ़ने वाली है। इस घटनाचक्र के दौरान आपके सामाजिक संपर्क का भी विस्तार होने की संभावना है।



गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आप अपने भविष्य को लेकर अधिक आत्मविश्वासी होंगे। अपनी योजनाआें को गति में रखने की आपकी क्षमता आपको अपनी महत्वकांक्षाआें आैर सपनों को पूरा करने की अनुमति देगी।  

गुरु के राशि परिवर्तन के इस घटनाचक्र में, आप भविष्य से जुड़ी योजनाआें से पूरित होंगे। आप एेसे प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू करेंगे, जो भविष्य में अापको प्रतिफल देने वाले है। ये आपके लिए काफी रोमांचक अनुभव होगा, लेकिन उतने ही काम हाथ में लें जितने आप संभाल सकते है। क्यूंकि इस बात का डर है जब आपका दृष्टिकोण काफी आशावादी होगा, तब आप अपनी क्षमताआें को वास्तविकता से अधिक समझ सकते है। यानि आप अति-आत्मविश्वासी हो सकते है। एेसे में अगर आप एक या दो प्रोजेक्ट पर काम करते है तो आप उन्हें बेहतर ढंग से पूरा करने में सक्षम होंगे।  

आप नए संपर्क बनाएंगे, एेसे में आप निश्चित रूप से नए विचारों के साथ आगे आएंगे आैर उनसे प्रेरित होंगे। दूसरे लोग आपको आगे बढ़ने के लिए अलग-अलग दिशाएं दिखा सकते है। आपमें उत्साह का संचार भी किसी ना किसी कारण से होगा। आप नए कम्यूनिकेशन प्रोजेक्ट को लेकर रोमांचित होंगे आैर ये प्रोजेक्ट आपको दिलचस्प आैर सहायक लोगों के संपर्क में ले जा सकता है। गुरु के गोचर की इस अवधि में बिजनेस से जुड़े जातकों की आमदनी में वृद्घि हो सकती है। 

आप नए दोस्त बना सकते है या खुद को किसी ग्रुप से जोड़ सकते है। नए लोग आपसे दोस्ती करने की इच्छा जता सकते है या मौजूदा दोस्त रिश्ते को अधिक मजबूत बना सकते है। आप दोस्तों या सहयोगियों के जरिए एडवांस लर्निंग के अवसर प्राप्त कर सकते है। 

गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में सकारात्मक परिस्थितियां आैर अवसर अपने आप से यानि आसानी से आपकी गोद में आकर नहीं गिरेंगे। आपको अवसर प्राप्त करने के लिए अपनी आंखें खुली रखनी होगी। आपको उन गतिविधियों या कार्यों से दूर रहने की जरूरत है जो आपके जिम्मेदारी पूर्ण कामों में अड़चनें पैदा कर रही हो। 

आप एेसा महसूस कर सकते है कि नए दोस्त आैर संपर्क बनाने के लिए आप अपना अत्यधिक समय आैर ऊर्जा लगा रहे है। दूसरे शब्दों में कहें तो गुरु के पारगमन की इस अवधि में आप सोशियल एजेंडे को लेकर अधिक गंभीर हो सकते है।  

गुरु समय-समय पर कर्इ अच्छी चीजें दे सकता है आैर एक साथ ही बहुत सारी सकारात्मक हालात पेश कर सकता है। एेसे में गोचर की इस अवधि में आपका मित्र समूह विस्तृत हो सकता है आैर आपको नए-नए सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने का मौका मिल सकता है। वहीं इस गोचर में आपको अपने दोस्तों या लक्ष्यों काे संभालना मुश्किल लग सकता है। एेसे में अगर अाप संतुलित रहें तो इन चीजों का ज्यादा आनंद उठा पाएंगे।  

गुरु गोचर का प्रभाव वृश्चिक राशि के लिए

वृश्चिक राशि के जातक उन गतिविधियों का आनंद ले सकते है जो अंदरूनी गहरी छाप छोड़ें। इस चक्र में, आप अधिक दयालु, समझदार आैर संवेदनशील हो सकते है। जब गुरु 12 सितंबर, 2017 को तुला राशि में गोचर करेगा तो वे वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली के बारहवें भाव को प्रभावित करेगा। एेसा कहा जाता है कि एेसी स्थिति जातक को आध्यात्मिक संरक्षण प्रदान करती है। ये वो समय हो सकता है जब आप स्वयं के लिए हानिकारक प्रवृत्तियां, अंदरूनी डर अौर अपराध-बोध जैसी प्रवृत्तियों से छुटकारा पा सकते है। आप उस बेहतर स्थिति में होंगे जब आप अपने अवचेतन मन का सामना कर सकेंगे आैर बल्कि आपको अपने भय का सामना करने में मजा अा सकता है।



आप प्रतिफल की उम्मीद किए बिना अधिक दान दे सकते है या स्वेच्छा से दूसरों की सहायता कर सकते है। दूसरों की सहायता करना वास्तव में आपके लिए मददगार साबित होगा। गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आप दूसरों की सेवा भी प्राप्त कर सकते है आैर इससे आपको बहुत खुशी मिल सकती है। 

गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में आपकी आध्यात्मिक दुनिया, करूणा, सहिष्णुता का विस्तार होगा आैर आप अपनी निजी जिंदगी को अधिक समय दे पाएंगे। आपको विभिन्न तरह के मिजाज का मूल्याकंन करते हुए अपनी ताकतों अौर कमजोरियों का मूल्यांकन करें। आप परामर्श, आध्यात्मिकता या मानसिक प्रतिभा की खोज कर सकते है। 

गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में वो दुनिया जिसकी आप कल्पना करते है वो अधिक समृद्घ, उपयोगी आैर सहज ज्ञान से भरी होगी। एेसी स्थिति में मेडिटेशन आपके लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है क्यूंकि ये आपकी आत्मा को नवजीवन प्रदान करने में मदद करेगा। आप एकांत आैर चिंतन में आनंद आैर वृद्घि की खोज करेंगे। 

गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आपकी रूचि आध्यात्मिकता, सपनों का अाशय समझने आैर आधुनिक पाठयक्रम जैसे विषयों में बढ़ने की संभावना है। कुछ जातक किसी के साथ रोमेंस या दोस्ती करते हुए जुड़ सकते है। इसका मतलब ये है कि आप अपने भीतर आत्मविश्वास का पुनर्निर्माण करेंगे। 

इस गोचर में नियंत्रण की भावना को नियंत्रित करें। जिस काम को आप कर रहे है उसके प्रति अापको अपना विश्वास बनाना चाहिए। जिस तरह आपकी प्रवृत्ति दूसरों की सहायता करना है, एेसे में आपको अपनी ऊर्जा आैर समय बचाने के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित करने की जरूरत होगी। 

ये एक स्नेही आैर सुरक्षात्मक घटनाचक्र है। हालांकि, इस समय कुछ एेसी भावनाएं आपके मन में हो सकती है कि आप सही ढंग से अपनी जिंदगी नहीं जी रहे है या अपनी जिंदगी का पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर पा रहे। गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में दिनचर्या को बनाए रखने में कुछ मामूली स्वास्थ्य समस्याएं या कठिनार्इयां हो सकती है। आप दूसरों की मदद करने के प्रति ज्यादा इच्छुक रहते है लेकिन आपको अपने हित के बारे में भी सोचना चाहिए।  

Sunday, September 17, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव तुला राशि के लिए

तुला राशि में इस महत्वपूर्ण ग्रह का गोचर काफी सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। ये गोचर तुला राशि के जातकों के आत्मविश्वास आैर मौजूदा माहाैल में सुधार लाने वाला है। इस तरह, आपका व्यक्तित्व प्रशस्त आैर उत्साहपूर्ण होगा। आप इस अवधि में पूर्ण रूप से सहज, उदार, भाग्यशाली आैर आशावान होने का अनुभव कर सकते है। हालांकि, अगर कोर्इ तनावपूर्ण मसला है, तो उसमें परेशानी हो सकती है।



गुरु जब आपकी राशि में प्रवेश करेगा तब आप एक बार फिर सकारात्मकता आैर किसी भी काम को पूरा करने का रवैया दिखाते हुए नर्इ शुरूआत करेंगे। आप अपने अतीत को पीछे भूलाकर भविष्य की आेर देखेंगे। घटनाएं जो आपके जीवन में होगी वो आपको समस्याआें से बाहर निकलने में मदद करेगी। इस गोचर से जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण बदलने वाला है आैर आप छोटी-छोटी चीजों के पीछे नहीं भागेंगे। हालांकि, किसी भी काम की बारीकी पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता से आपकी चिंता बरकरार रह सकती है लेकिन इससे आप व्याकुल नहीं होंगे।   

गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में आपको अधिक पसंद किया जाएगा आैर दूसरों पर जो आप अपनी पहली छाप छोड़ेंगे वो विशिष्ट होगी। लोगों को आपके आसपास रहना अच्छा लगेगा वो भी सिर्फ इसलिए नहीं कि आप क्या करते हो बल्कि आप जो हो उसके लिए लोग आपको पसंद करेंगे। अाप अपनी रूचियों आैर महत्वाकाक्षांआें को अगले पड़ाव पर ले जाने की आेर प्रवृत्त होंगे। गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान आप उत्साह से भरपूर हो सकते है। 

हालांकि, सकारात्मकता आैर उत्साह के संभावित नकारात्मक पहलू भी होते है। एेसे में आपको एेसी प्रवृत्ति से बचने की जरूरत है जिसमें आपका ध्यान पूरी तरह से खुद पर ही केन्द्रित हो। वहीं, गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में  अतिसंवेदनशील आैर अतिव्ययी होना आपके लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है। 

गुरु के राशि परिवर्तन का ये चरण स्वार्थीपन से दूर होने आैर दूसरों की देखभाल करने से जुड़ा है। हालांकि, आपके लिए स्थिति काफी अलग है। आप अभी तक दूसरों की जरूरतों की पूर्ति कर रहे थे। लेकिन आपको पता चला कि वे लोग स्वार्थी थे। इसलिए अब आप अपने स्वयं के हितों को आगे बढ़ाना चाहते है। 

आप एक नर्इ शुरूआत की तलाश में है, या यूं कह सकते है आप जिंदगी में एक तरह से नर्इ शुरूआत करना चाहते है। जिसमें कुछ सही आैर अच्छा करने की चाह खासकर मजबूत है। किसी प्रकार का काम या प्रोजेक्ट जिस पर आप कार्यरत है उससे अब आपको प्रतिफल/लाभ मिलने लग सकता है। वहीं अब आप दूसरों की सेवा करने या मदद करने पर कम ध्यान देंगे। शायद अब एेसा करने की जरूरत भी नहीं है। क्यूंकि अब आप अपनी खुद की रूचियों पर फोकस कर सकते है। 

गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में आप बैठकर आराम नहीं करेंगे। आप नए अनुभवों को पाने के लिए लालायित होंगे। इस गोचर के बाद से आपके लिए तनाव महत्वहीन हो जाएगा। 


Friday, September 15, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव कन्या राशि के लिए

इस खगोलीय घटना से ये इस राशि के जातक मुख्य रूप से प्रभावित होंगे। ये अवधि कन्या राशि के जातकों के लिए लाभदायी आैर उत्पादक अवधि हो सकती है। आप अपनी आमदनी को लेकर अधिक आत्मविश्वासी हो सकते है, जिससे आपको अधिक आय अर्जित करने में मदद मिल सकती है।



गुरु के तुला राशि मेें गोचर की अवधि में आप अपने प्रतिभा को विकसित करने की आेर प्रवृत्त होंगे। इससे आपकी कमार्इ की ताकत को बढ़ावा मिलने की संभावना है। इस गोचर के प्रभाव से आपकी आय में वृद्घि हो सकती है। इससे भविष्य में आपकी वित्तीय स्थिति में भी सुधार हो सकता है। हालांकि आप अत्यधिक उदारतापूर्वक पैसे खर्च कर सकते है। आैर आपकी ये प्रवृत्ति अपने घर को बेहतर बनाने आैर पेशेवर संपत्ति बढ़ाने या अधिक सुरक्षित महसूस करने के लिए हो सकती है।

इसके अलावा आप अपनी पिछली पैसों से जुड़े परेशानियां भी हल कर सकते है। इसका मतलब ये कि आपका लंबित बकाया पैसा या अन्य संबंधित मसलें गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में सुलझने की संभावना हैै। लेकिन एेसा करने के लिए, आपको बेहतर वित्तीय प्रबंधन करने की जरूरत होगी। इसका मतलब ये कि आपको प्रभावशाली बजट बनाना होगा आैर अपने संसाधनों को बेहतर तरीके से संभालना होगा। 

गुरु के तुला राशि में गोचर 2017 की अवधि में अापके बड़े आइटम या उपहार प्राप्त करने या आपके द्वारा कोर्इ बड़ी खरीददारी करने की संभावना है। एक महत्वपूर्ण उपहार या बोनस भी आपको मिल सकता है। ये समय वित्तीय संस्थाआें के साथ काम करने के लिए, सैलेरी में बढ़ोतरी के लिए प्रयास करने आैर किसी तरह के लोन के लिए आवेदन करने के लिए अच्छा है। 

हालांकि, गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आपको अत्यधिक खर्च करने की प्रवृत्ति की आेर ध्यान देने की जरूरत होगी। एेसी संभावना है कि जिस तरह आप इस अवधि में अच्छा महसूस करेंगे एेसे में आप अपनी वित्तीय स्थिति को दरकिनार करते हुए शाॅपिंग करने जा सकते है।  

गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आपको पैसे खर्च करने आैर वित्तीय प्रबंधन में लापरवाह रवैया नहीं अपनाना चाहिए। अगर आप बहुत सारी चीजें खरीद रहे है आैर अपनी निजी संपत्ति की सूची में जोड़ रहे है, तो इससे हालात अव्यवस्थित हो सकते है। यानि इस अवधि में आपको बेफिजूल का पैसा खर्च करने की आदत पर लगाम लगानी होगी। 

गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आप पैसे उधार लेने जैसे मूर्खतापूर्ण जोखिम ले सकते है। आप एेसा इसलिए करेंगे क्योंकि आपको काम करने की क्षमता को लेकर अधिक आत्मविश्वासी होंगे। आप कुछ संसाधनों या पैसों को लेकर किसी के साथ झगड़ा भी कर सकते हैं। एेसे में आपको इसका ध्यान रखना चाहिए आैर अतिव्ययी बनने से खुद को रोकना चाहिए। आपको पैसे उधार देने या लेने के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए। 

Thursday, September 14, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव सिंह राशि के लिए

गुरु का तुला में गोचर सिंह राशि के जातकों की कुंडली के तीसरे भाव को प्रभावित करेगा। गुरु का तुला राशि में गोचर सिंह राशि के जातकों के जीवन में कर्इ प्रभाव दिखाएगा। इस अवधि में आपको शैक्षिक आैर कम्यूनिकेशन के ढेर सारे अवसर प्राप्त करेंगे। इस गोचर की अवधि में आप अपने ज्ञान आैर कौशल को बढ़ा सकते है।



गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आपके उत्साह आैर सकारात्मकता में वृद्घि देखने को मिलने वाली है। आप बेहतर ढंग से अपने विचारों/योजनाआें को बयां करने में सक्षम होंगे आैर आसपास के लोग उन्हें अच्छे से समझ पाएंगे। गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आप पाएंगे कि आपके पड़ोसी आैर रिश्तेदार आपके लिए काफी सहायक है। 

जिस तरह इस अवधि में आपका तर्क कौशल सामान्य से अधिक तेज हो जाएगा, एेसे में इस अवधि का आपको फायदा उठाना चाहिए। इसके फलस्वरूप, आप अधिक जटिल विषयों को भी समझने में सक्षम होंगे साथ ही आप इन जटिल विषयों आैर समस्याआें को इस तरीके से समझाएंगे कि अन्य लोग उन चीजों या बातों को अच्छे से समझ पाएंगे। 

जब गुरु राशि परिवर्तन करेगा तब आप नर्इ कार खरीद सकते है या अाप बेहतर परिवहन के अवसर प्राप्त कर सकते है ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना आपके लिए आसान हो सकें। आपको शाॅर्ट ट्रिप के अवसर भी मिल सकते है या आप भार्इ-बहिनों, सहपाठियों या पड़ोसियों के संपर्क में आ सकते है।  

गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में कुछ सकारात्मक खबर या घोषणा होने की संभावना है। ये आपको खुशी दे सकती है, ये अवधि आपको अधिक सकारात्मक का एहसास देगी। हालांकि, आपको जल्दबाजी में बोलने या गलत बयानबाजी करने से बचना चाहिए।  इसके अलावा, अगर आप काम को पूरा करने में ज्यादा समय बिताएंगे आैर अपने प्रयास करेंगे तो ये गोचर आपको लाभ देगा। ये अवधि आपके जीवन को अधिक संतुलित बनाने में मदद कर सकती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो अगर आपने अभी मेहनत कर ली तो आपको आगे लाभ कमाने के लिए ज्यादा दौड़ना नहीं पड़ेगा। आपके जीवन में एक रिश्ता महत्वपूर्ण बन सकता है क्यूंकि ये आपको दैनिक मामलों की देखभाल करने के लिए बाध्य कर सकता है। या यूं कह सकते है कि ये आपको जिम्मेदारी का एहसास करा सकता है। 

अगर आप लेखक, शिक्षक या कम्यूनिकेशन के किसी क्षेत्र में है, तो आप अपने आप को बेहतर स्थिति में पाएंगे क्यूंकि इस समय आपकी रचनात्मकता बढ़ने की उम्मीद है। इस प्रकार, ये समय शिक्षक, लेखक या कम्यूनिकेशन के अन्य क्षेत्रों के लिए बढ़िया है। इसकी संभावना भी है कि गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आपको उच्च शिक्षा आैर यात्रा के अवसर मिल सकते है। अगर आप बिजनेस में है, तो आप सेल्स इत्यादि में बढ़ोतरी महसूस करेंगे। आप कम्यूनिकेशन स्थापित करने, नर्इ चीजें सीखने आैर सामाजिक बनने में खुशी प्राप्त करेंगे। गुरु के गोचर के दाैरान आपको इन क्षेत्रों में अवसरों को हड़पने के लिए अपनी आंखें खुली रखने की जरूरत है। 

गुरु गोचर का प्रभाव कर्क राशि के लिए

गुरु का तुला में गोचर कर्क राशि के जातकों की कुंडली के चौथे भाव में जगह बनाएगा। वर्ष 2017 में होने वाला गुरु का ये गोचर कर्क राशि के जातकों की जिंदगी में कर्इ अहम बदलाव लाएगा। इसके तहत कर्क राशि के जातक घरेलू मसलें जैसे घर, परिवार, संपत्ति इत्यादि में लाभ मिलते देखेंगे। आप अपने परिवार आैर घर में अच्छी खुशी पा सकते है। आपकी जिंदगी घर आैर परिवार के इर्दगिर्द घूमती नजर आने की संभावना है।



गुरु के तुला राशि में गोचर की ये अवधि घर के विकास से संबंधित होगी। आप अपने पारिवारिक जीवन में सुधार का स्वागत करेंगे जो कि आपकी मानसिक स्थिति को बढ़ावा देगा। आप एेसा महसूस करेंगे कि आपका अंदरूनी आैर व्यक्तिगत अनुभव आपके लिए अन्य लोगों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। गुरु के पारगमन की अवधि में इसकी भी संभावना है कि आपको एक नया घर मिल सकता है या आपके परिवार से कोर्इ नया सदस्य जुड़ सकता है।

आर्थिक लाभ के लिए अचल संपत्ति खरीदने या बेचने की संभावना भी नजर आ रही है। गुरु के गोचर के दौरान घर के ढांचे में सुधार आैर मरम्मत की भी संभावना है। आप किसी बड़े घर में जाकर रह सकते है। घरेलू मोर्चे पर ये सभी विकास आपको खुशी देने वाले है।

आपके द्वारा लंबे समय से चली आ रही पारिवारिक समस्या का समाधान निकाले जाने की संभावना है। गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में माता-पिता आैर अन्य परिजनों के साथ आपके रिश्तों में सुधार आने की संभावना है। आप अपने परिवार की उन बुनियादी चीजों पर रिसर्च कर सकते है जो कि बहुत ही सुखद आैर समृद्घ है। पारिवारिक समारोह, वेकेशन या अन्य कोर्इ कार्यक्रम हो सकता है जो कि परिवार के साथ आपके संबंध को मजबूती प्रदान कर सकता हैं

गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आपके अपने परिजनों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की संभावना है या विरासत के जरिए आपको लाभ हो सकता है। आपको दूसरों की देखभाल करने में खुशी मिल सकती है। इसके परिणामस्वरूप आ अधिक आंतरिक अौर मानसिक संतुष्टि महसूस करेंगे। आैर आपको सांसारिक महत्वकाक्षांआें में कम रूचि हो सकती है।

ये वो समय है जब आपको अपने कैरियर आैर सामान्य जिंदगी में अपने क्षितिज का विस्तार करना चाहिए। हालांकि, आपके जिम्मेदारियों से भागने की संभावना है। लेकिन कैरियर में अनिश्चितता संघर्ष का कारण हो सकती है आैर ये घर पर सुरक्षा की भावनाआें को प्रभावित कर सकता है। एेेसे में इस मोर्चे पर अापको अधिक सावधान रहना होगा।

परेशानी ये होगी कि आप कर्इ लोगों को खुश करना चाहेंगे आैर काम का अत्यधिक दबाव आपको थका देगा। एेसा इसलिए होगा क्यूंकि आपको एेसा लग सकता है कि आपके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय आैर ऊर्जा नहीं है। 

Tuesday, September 12, 2017

गुरु गोचर का प्रभाव मिथुन राशि के लिए

गुरु का तुला राशि में प्रवेश मिथुन राशि के लिए काफी अच्छा साबित होगा। वे इस अवधि में मिलने वाले लाभ का आनंद उठा सकते है। साथ ही उन्हें इस गोचर के दौरान रोमेंस, रचनात्मक अभिव्यक्ति, शौक पूरे करने आैर मनोरंजन के अवसर इत्यादि मिल सकते है।



गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आप जिंदगी का मजा उठाना चाहेंगे आैर अपने रचनात्मक पक्ष को खोजेंगे। ये आपके लिए आैर अधिक अवसर खोलेगा। उदाहरण के तौर पर, आप एेसे नए दोस्तों से मिल सकते है जो आपको घर से बाहर चलने यानि घूमने चलने के लिए कह सकते है। या फिर आप किसी के क्रिएटिव प्रोजेक्ट से प्रेरित हो सकते है, जो आपमें नर्इ रूचि उत्पन्न कर सकती है। आप बहुत सारी रचनात्मक चीजों से डील करने वाले है आैर गुरु के राशि परिवर्तन के दौरान ये आपको कुछ पहचान या प्रशंसा दिला सकता है। 

इस अवधि में आप रोमांटिक अवसरों का उपयोग करने, स्वयं को व्यक्त करने आैर अपने शौक को पूरा करते हुए देखेंगे। 2017 में गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान अाप अपने सपनों को पूरा करने के लिए विचारों आैर योजनाआें से भरे होंगे। 

इस चरण में प्यार आैर रोमेंस अापकी जिंदगी में नर्इ ताजगी के साथ प्रवेश कर सकता है। ये नए रिश्ते के रूप में हो सकता है या मौजूदा प्रेम संबंध में नर्इ तीव्रता आ सकती है। गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आप पाएंगे कि मौजमस्ती की संभावनाएं अब आपके लिए खुली है आैर आपमें से किसी के इसमें पूर्णतया पराजित होने की संभावना है।  

गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में आपके कर्इ सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने की संभावना है। वे लोग जो अविवाहित है , उनकी मुलाकात किसी खास व्यक्ति से होने की संभावना है। हालांकि, इसकी मजबूत संभावना है कि ये साथ अस्थिर होगा आैर जो एक प्रतिबद्घ रिश्ते में तब्दील नहीं होगा। साथ ही, गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में जो प्रतिबद्घ रिश्ते से जुड़े है वे उसमें अधिक खुशियां तलाश सकते है। 

गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में आपके बच्चों के साथ आपका रिश्ता अधिक संतोषजनक आैर आनंदप्रद हो सकता है। आप अपने बच्चों के साथ अच्छे समय का अानंद उठा सकते है जो आपको खुशी देगा। वहीं एेेसे कपल जो बच्चे की किलकारियां सुनने को बेताब है, उन्हें अच्छी खबर इस गोचर के दौरान मिल सकती है, ये एहसास भी आपको काफी प्रसन्नता देने वाला है।  

गुरु के राशि परिवर्तन का ये चक्र जिंदगी आैर रिश्तों का मजा उठाने के लिए है। ये समय वेकेशन पर जाने के लिए बहुत अच्छा है। आप नर्इ रूचियाें आैर क्रिएटिव प्राेजेक्ट काे पूरा करने की कोशिश कर सकते है। ये सभी आपके जीवन को मजेदार बनाने के प्रारंभिक तरीके होंगे, जो कि गुरु के तुला राशि में गोचर की अवधि में होंगे। 

   

Monday, September 11, 2017

गुरु का तुला में गोचर 2017 वृषभ राशि पर प्रभाव

गुरु का तुला राशि में गोचर का प्रभाव वृषभ राशि के जातकों की कुंडली के छठें भाव पर पड़ेगा। इस गोचर के प्रभाव से आपकी जिंदगी पेशेवर मोर्चे पर प्रगति के इर्दगिर्द घूमने की संभावना है। आप अपने पेशेवर कौशल में विकसित हो सकते है आैर काम से संबंधित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते है। आप अपने पेशेवर कार्यों में प्रोत्साहन का अनुभव कर सकते है।



आपके कैरियर पर प्रभाव 

जानकारियों को संभालने की क्षमता जो कि जाॅब करते समय आवश्यक होती है वो गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान बढ़ेगी। आपकी इस क्षमता में वृद्घि को लेकर दूसरे लोग सचेत होंगे। आप उन काम की खूबियों के आधार पर आप लाभप्रद महसूस कर सकते है, जो आपने पूरे किए है या जिसके लिए आपको अपने सहकर्मियों या अधीनस्थ लोगों का सहयोग मिला है। बात का सारांश ये है कि, गुरु के राशि परिवर्तन 2017 के दौरान जो भी काम आप करेंगे वो काम अच्छे से पूरे होंगे, क्यूंकि जो काम आप कर रहे है उसमें आपको अधिक खुशी मिल रही है। 

इसके अलावा, अगर आप पर कर्मचारियों के चयन की जिम्मेदारी है, तो आप अच्छे कर्मचारियों को चयनित करने में सक्षम होंगे। ये सब गुरु के तुला राशि में गोचर 2017 के दौरान आपके समग्र काम के वातावरण में सुधार आने के साथ होगा। वे जातक जो नौकरी की तलाश कर रहे है उन्हें इस मामले में सफलता अन्य समय की तुलना में अधिक आसानी से मिलेगी।

गुरु के राशि परिवर्तन के दौरान आपको बहुत ही आनंदप्रद काम मिलेंगे, इस स्थिति में आपको खुशी के ज्यादा मौके मिलेंगे। हालांकि, अतिउत्साह में आप अपने समय आैर ऊर्जा की सीमाआें को सही तरीके से पहचानने की बजाय बहुत ज्यादा काम अपने हाथ में ले सकते है। यानि आप अपनी क्षमता से अधिक काम हाथ में ले सकते है, जो आप पर भारी पड़ सकता है। 

गुरु के राशि परिवर्तन के दौरान जब आप काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अतिउत्साहित होंगे, तो ये काम के आेवरलोड का कारण बन सकता है। इससे आपके आसपास समस्याएं बढ़ने की भी संभावना है। दूसरे शब्दों में कहें तो आप अपने आसपास मंडरा रही समस्याआें को वास्तविकता से अधिक बड़ी आैर खतरनाक पाएंगे। आपको कुछ मामूली सेहत संबंधी परेशानियां भी होने की संभावना है, जो कि अनिश्चित आैर अस्पष्ट होगी। आपको खुद के लिए आैर अपने चाहने वालों के लिए समय निकालने की जरूरत महसूस हो सकती है। हालांकि, जिस तरह आप कार्यस्थल पर कर्इ महत्वपूर्ण काम अपने हाथ में लेने वाले है, एेसे में आपको अपने या अपने चाहने वालों के लिए वांछित समय निकालना मुश्किल नजर आता है। 

हालांकि, अंत में ये समस्याएं बहुत ज्यादा नहीं होगी आैर गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान कार्यस्थल पर जो आपको पहचान आैर प्रोत्साहन मिलेगा उससे आपको अत्यधिक प्रसन्नता मिलेगी।  

गुरु के राशि परिवर्तन 2017 के दौरान जब आप अपने काम काे अधिक विस्तार से करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे, तो एेसे में कर्इ बार ये नीरसता में तब्दील हो सकता है। ये समय अपने कामकाजी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए उपयुक्त अौर  आप अपने कार्यों या दिनचर्या को व्यवस्थित करने के लिए अत्यधिक प्रयास ड़ाल सकते है। इस अवधि के दौरान एक विशिष्ट चीज ये होगी कि आपका ध्यान अन्य लोगों की सहायता पर अधिक केन्द्रित हो सकता है। बल्कि गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान आप दूसरों की सहायता करने के लिए सेहत-संबंधी या इलाज करने वाले पेशे के प्रति अपनी उत्सुकता दिखा सकते है। यानि आपका एक मकसद होगा कि किसी ना किसी तरीके से आप दूसरों की मदद करें। 

Sunday, September 10, 2017

गुरु का गोचर तुला राशि में 12 सितंबर 2017 से- मेष राशि के जातकों पर प्रभाव

मेष राशि के जातकों की कुंडली के सातवें भाव को प्रभावित करेगा। गुरु का राशि परिवर्तन मेष राशि के जातकों की जिंदगी पर महत्वपूर्ण प्रभाव ड़ालेगा। गोचर के बदलाव का दायरा एक समृद्घ बिजनेस साझेदारी में प्रवेश से लेकर विवाह में देरी की संभावनाआें तक हो सकता है।



गुरु के कारक क्षेत्र शिक्षा, उच्च शिक्षा, यात्रा, प्रमोशन, प्रकाशन इत्यादि है। एेसे में गुरु के राशि परिवर्तन की अवधि में , आपके उपरोक्त क्षेत्रों में से किसी में साझेदारी के विकास देखने की संभावना है यानि साझेदारी के बिजनेस में आपको प्रगति हासिल हो सकती है। इस प्रकार, यात्रा या एजुकेशनल कोर्स के दौरान आप रोमांटिक या बिजनेस साझेदारी विकसित कर सकते है। वर्ष 2017 में गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान होने वाली ये नर्इ साझेदारी एक अलग संस्कृति से जुड़े व्यक्ति के साथ भी हो सकती है।

गुरु के राशि परिवर्तन 2017 के दौरान इसकी भी संभावना है कि आपकी मौजूदा साझेदारी आपकी व्यक्तिगत धारणाआें को साझा करने से मजबूत हो सकती है। ये साझेदारी यात्रा के दौरान प्रबल हो सकती है। ये साझेदारी लाभदायक होगी अौर गुरु ग्रह का तुला राशि में गोचर आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाने में भी योगदान दे सकता है। इसके अलावा, इसकी भी मजबूत संभावना है कि आपको इस साल पढ़ाने या परामर्श देने का अवसर मिल सकता है।

2017 में गुरु के तुला राशि में गोचर के चरण में आप अपने करीबी लोगों के साथ बहुत सारी चीजें साझा करेंगे। आप अपने करीबी लोगों के साथ अपनी धारणाएं, रूचियां आैर विचारधाराआें को साझा करेंगे। ये सहभाजन आपके गहरे संबंधों का केन्द्र बिन्दु होगा। यानि इससे अापका संबंध आैर मजबूत होगा।

इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के अापके जीवन में प्रवेश करने की संभावना है। जो कि आपके साथ अपने शैक्षिक लक्ष्य, विचारधाराएं साझा कर सकता है आैर जो कि किसी लंबी दूरी के कनेक्शन के साथ आपके संपर्क में अा सकता है। रिश्ते का ये विकास अगस्त 2017 में होने की संभावना है। इसके अलावा, आपके उन लोगों से मिलने की संभावना है, जो आपके पक्ष में आैर आपके सहायक होंगे। बल्कि, गुरु के राशि परिवर्तन 2017 के दौरान आप इस तरह के लोगों के प्रति आकर्षित होने वाले है।

गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान, आप रिश्ते में कुछ कठिनार्इयां उत्पन्न कर सकते है। आपके एेसे व्यक्तियों के करीब आने की संभावना है जो आपके साथ घुलने-मिलने की बजाय अपनी आजादी में अधिक दिलचस्पी रखते हो। या फिर एेसी संभावना है कि आप किसी एेसी व्यक्ति से मिल सकते है जो कि अपने आप में रहने वाला आैर डिमांडिंग हो। ये भी एक समस्या हो सकती है कि आपके मौजूदा दोस्त भी अत्यधिक डिमांडिंग हो सकते है। गुरु के तुला राशि में गोचर के दौरान एेसी स्थिति आपको कठोर आैर कठिनार्इ महसूस करा सकती है। 

इस समय आप अपनी पेशेवर जिंदगी आैर रिश्तों के बीच खींचतान महसूस कर सकते है। आप रिश्तों में बहुत सारी ऊर्जा  ड़ालना चाहेंगे। हालांकि, आप पर कैरियर के लक्ष्यों को प्राप्त करने का भारी दबाव हो सकता है आैर आप कार्यस्थल पर अपनी जिम्मेदारियां पूरी करना चाह सकते है। गुरु के राशि परिवर्तन के दौरान आप काम के बोझ से खुद को अत्यधिक दबा -सा महसूस कर सकते है। 

Friday, September 8, 2017

Which same Zodiac Sign matches are good and which are not

We know that every zodiac sign is influencing its born by certain personality traits but individuals often find their perfect fit in people for different zodiac signs, who help them complete the puzzle of life. But at times, some zodiac signs find the perfect match with their own kind. Such zodiac matches can be way too tricky and totally unpredictable. At times, we feel at ease with people, who we share similar personalities with, but it totally depends on whether such associations are capable enough for deeper relations, like dating or marriage, even.


Did you ever thought why is it that some of us find solace with people, who have an exact opposite individuality of us and some love to be with mirroring personalities? Let's try to understand which Same Zodiac Sign matches are good and which are not.

Aries with an Aries

Imagine a fire satiating a fire? That’s how this couple would be- a tough match or best to say an explosion in waiting. Both being hot-headed, can lead to constant issues brewing up thanks to their soaring egos. Being impulsive individuals, their spark can either work for them, or could toss their passion out of the window. Their constant need to ‘wanting their own way’ might get this match into big relationship fallout.

Taurus with a Taurus

With both being an Earth sign, their quest for stability can work well for them. Keeping them together would require them to work and think in the same direction; sharing same thoughts, ideas, and opinions. Your love for common things like sports, cooking, giving back to nature, will boost your passion for each other. The balancing act can make this relationship a rocking success.

Gemini with a Gemini

Together, these individuals can never face boredom, such is their energy. If one of them is the wild one, the other would need to bring in the much-needed stability, so that they could cherish and respect, this liaison. Their passion for each other could sustain until one of them gets bored or is drifted away. Hence, this match is highly unpredictable. If they wish to, they can make this one work.

Cancer with a Cancer

They both are sensitive and their nurturing abilities can really work great for each other. This zodiac match has a lot of emotional factors involved, and that is why they need to learn to endure each other’s mood and take things a little easy. Remember, too much can also become a big problem in later life, so be cautious.

Leo with a Leo

This zodiac match is really not recommended, and if you are an LEO and have dated or married another LEO, you’ll probably know by now. These two are like live bombs living together and it's unpredictable, which one would explode first. Their constant desire to lead each other would jeopardise their equation. With both being dominating and short-tempered, it is hard to keep the passion and mutual respect intact for long.

Virgo with a Virgo

These two are truly made for each other. And, as these people have high hope of and for each other; their quest to impress each other, adds more to their bond. Their selfless and giving nature is well appreciated & understood. They are like mirroring personalities and love to come together for common interests. They put in continuous efforts to push each other’s growth and development, and are pillars of support for each other.

Libra with a Libra

This association can only work if learn to accept each other’s flaw and be transparent at least with each other. Ironically, they both yearn for harmony, but if they do not learn to communicate with each other than resentments can wreak havoc in their lives. They work very hard to display fondness & love each, but deep down hold a grudge. When you’ll begin pouring your heart out to each other, you’ll be inseparable and sail through any storm.

Scorpio with a Scorpio

Being mysterious & sharing an intriguing passion for each other, makes their match a thunderous lightening. Things that can disturb their otherwise soulful lives are trust issues, jealousy, and suspicion. When two Scorpios get together, it’s not their world that holds them together, but their undying desire for each other. They’ll quarrel and fight constantly, but deep down; their love remains untouched and intact.

Sagittarius with a Sagittarius

They look upon each other as healthy competition and know how to enjoy their time together. Even though they have strong opposing opinions, but will always use platforms like, healthy discussion, spirited activities to push each other’s growth and development. Whenever, one of them feels their freedom and space at stake, it jeopardises their liaison. Commitment issues might be a problem with these two.

Capricorn with a Capricorn

This is considerably a good match. The reason being both individuals know and understand each other's needs outside their relationship. They understand and appreciate each other's work and need for space too. Their relationship gradually creates from a profound obligation of shared qualities. If they let their personal aspirations and ambitions to interfere in their lives, it might pose a threat to their union.

Aquarius with an Aquarius

It’s hard for them to keep up with each other’s spiritual energies. They can be the best of companions as both are liberal and are profoundly tolerant people. Emotions bout & each other’s mood swings may shake the groundwork of their relationship. This is when inconvenience worms in and both may overlook the passionate parts of their relationship.

Pisces with a Pisces

Two visionaries in a relationship may dream of things together. Be that as it may, with no arrangement of activity this relationship can be without any outcomes. Both the fishes may glide profound around interminably in their fantastic dreams, which might work for them. They jump at the chance to wear their rose shaded scenes and may have a tendency to remain gullible, never resting their stay into something generous.