Thursday, February 9, 2017

माघी पूर्णिमा गंगा स्नान

माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा जिसे लोक भाषा में माघी पूर्णिमा भी कहते हैं. बहुत ही पुण्यदायिनी कही गयी है  मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान का तेज मजूद रहता है, देवताओं का यह तेज पाप का शमन करने वाला होता है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व जब आकाश में पवित्र तारों का समूह मजूद हो उस समय नदी में स्नान करने से घोर पाप भी धुल जाते हैं.

माघी पूर्णिमा के विषय में यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति तारों के छुपने के बाद स्नान करते हैं उन्हें मध्यम फल की प्राप्ति होती है तथा जो सूर्योदय के पश्चात स्नान करते हैं वह माघ स्नान के उत्तम फल से वंचित रह जाते हैं अत: इस तिथि को शास्त्रानुकूल आचरण का पालन करते हुए तारों के छुपने से पहले स्नान कर लेना उत्तम रहता है.

माघी पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के समान महत्व प्राप्त है. इस दिन प्रयाग में स्नान करने से लाख गुणा फल की प्राप्ति होती है क्योंकि यहां गंगा और यमुना का संगम होता है. गंगा नदी में स्नान करने से हजार गुणा फल की प्राप्ति होती है. अन्य नदी और तालाब में स्नान करने से स गुणा फल की प्राप्ति होती है. इस पुण्य दिवस पर अगर आप प्रयाग में स्नान नहीं कर पाते हैं तो जहां भी स्नान करें वहां पुण्यदायिनी प्रयाग का मन ही मन ध्यान करके स्नान करना चाहिए.

शास्त्रों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन अन्न दान और वस्त्रदान का बड़ा ही महत्व है. इस तिथि को गंगा स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें. श्री हरि की पूजा के पश्चात यथा संभव अन्नदान करें अथवा भूखों को भरपेट भोजन कराएं. ब्रह्मणों एवं पुरोहितों को यथा संभव श्रद्धा पूर्वक दान दें और उनका आशीर्वाद लें, इसके बाद आप स्वयं भोजन करें.

शैव मत को मानने वाले व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा कर सकते हैं. जो भक्त शिव और विष्णु के प्रति समदर्शी होते हैं वे शिव और विष्णु दोनों की ही पूजा करते हैं. समदर्शी भक्तों के प्रति भगवान शंकर और विष्णु दोनों ही प्रेम रखते हैं अत: गंगा के जल से शिव और विष्णु की पूजा करना परम कल्याणकारी माना गया है.

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