Friday, April 14, 2017

108 के अंक का महत्व

हिन्दू धर्म में 108 के अंक का अपना एक अलग महत्व है। माला में 108 मनके होते हैं, मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है। ईश्वर का नाम लेना हो तो उसे भी तभी शुभ और संपूर्ण माना जाता है जब वह 108 बार लिया जाए। वैसे ये बात तो सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में 108 के अंक की अपनी एक अलग महत्ता है लेकिन इसके पीछे कारण क्या है इसके बारे में या तो कभी जानने की कोशिश नहीं की गई और अगर कोई जानता भी है तो उनकी गिनती नाम मात्र की है। हिन्दू धर्म समेत अन्य बहुत से एशियाई धर्मों में 108 के अंक को पवित्र माना गया है। बौद्ध, जैन आदि धर्मों के अलावा योग में भी इस अंक को महत्वपूर्ण माना गया है। मुख्य शिवांगों की संख्या 108 होती है इसलिए सभी शैव संप्रदाय, विशेषकर लिंगायत संप्रदाय में रुद्राक्ष की माला में 108 मनकों का जाप होता है। इसके अलावा वे रोजाना सुबह शिव के अष्टशतनामवली’ का जाप भी करते हैं।

गौड़ीय वैष्णव धर्म में भी वृंदावन में 108 गोपियों का जिक्र किया गया है। 108 मनकों के साथ-साथ सभी गोपियों के नामों का जाप, जिसे नामजाप कहते हैं, पवित्र और शुभ माना जाता है। श्रीवैष्णव धर्म में विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों को बताया गया है जिन्हें ‘108 दिव्यदेशम’ कहा जाता है। हिन्दू धर्म से संबंधित कम्बोडिया के प्रसिद्ध अंगकोरवाट मंदिर की प्रख्यात नक्काशी में भी समुद्र मंथन की घटना को दर्शाया गया है जब क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकि नाग को 54 देव और 54 राक्षस (108) अपनी-अपनी ओर खींच रहे थे। हिन्दू धर्म की तरह तिब्बत के बौद्ध धर्म में भी जापमालाओं में 108 मनके ही होते हैं, लेकिन कभी कभार ‘गुरु’ मनकों को मिलाकर इनकी संख्या 11 भी होती है।

ज़ेन धर्म से संबंधित धर्मगुरु और अनुयायी अपनी कलाई पर जापमाला बांधते हैं उनकी संख्या भी 108 ही होती है। लंकावत्र सूत्र में भी एक खंड है जिसमें बोधिसत्व महामती, बुद्ध से 108 सवाल पूछते हैं। एक अन्य खंड में बौद्ध 108 निषेधों को भी बताते हैं। बहुत से बौद्ध मंदिरों में सीढ़ियां भी 108 रखी गई हैं। बौद्ध धर्म की कई शाखाओं में यह स्वीकार किया गया है कि व्यक्ति के भीतर 108 प्रकार की भावनाएं जन्म लेती हैं। भंते गुणरत्न के अनुसार यह संख्या, सूंघने, सुनने, कहने, खाने, प्रेम, आक्रोश, दर्द, खुशी आदि को मिलाकर बनाई गई है।

जापानी संस्कृति में बौद्ध धर्म के अनुयायी बीतते साल को अलविदा कहने और नव वर्ष के आगमन के लिए मंदिर की घंटियों को 108 बार बजाते हैं। प्रत्येक घंटी 108 में से एक सांसारिक प्रलोभन का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे त्यागकर व्यक्ति को निर्वाण के मार्ग पर चलना चाहिए।

यहूदी लोग जब भी कभी दान करते हैं या फिर चंदा देते हैं 18 से गुणा करके ही देते हैं, जिसका संबंध हिब्रू भाषा में चाइ अर्थात, जीवन या जीवित से है। 108 अंक भी 18 से गुणा होता है और इस अंक में 1 और 8 दोनों ही संख्याएं हैं। ईसाई धर्म की पुस्तक के पहले खंड, जिनीसेस में उल्लिखित है कि इसाक की मौत 108 वर्ष की उम्र में हुई थी।

एशियाई मार्शल आर्ट्स का संबंध भी बौद्ध धर्म से है जिसकी वजह से इसमें भी 108 अंक की महत्ता अत्याधिक है। वर्मा कलाई और सिद्ध के अनुसार मानव शरीर में 108 प्रकार के प्रेशर प्वॉइंट्स होते हैं। जहां चेतना और देह मिलकर जीवन का सृजन करते हैं।मार्शल आर्ट की चीनी शाखा, दक्षिण भारत की शाखा के उस सिद्धांत को स्वीकार करती है जो 108 प्रेशर प्वॉइंट्स के होने की बात कहते हैं।

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