Thursday, April 20, 2017

ग्रहों के प्रभाव

कुंडली में जन्म की स्थिति के अनुसार ग्रह और राशियों का निर्धारण होता है और राशि अनुसार ही व्यक्ति का चरित्र होता है। हर राशि एक ग्रह या ग्रह समूहों से प्रभावित होती है और उसका व्यक्ति पर भी खास असर रहता है।कई बार व्यक्ति के जीवन में ऐसी भी घटनाएं हो जाती हैं जो सोच से बिल्कुल परे होती हैं। तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतने के बावजूद आप बड़ी बीमारियों या बार-बार बीमारियों के शिकार बनते हैं। इसका कारण आपके ग्रह, राशि स्थिति और नक्षत्रों के प्रभाव होते हैं। ग्रहों की स्थिति जहां व्यक्ति के जीवन में अच्छे और बुरे फल देने वाली होती है, वहीं राशि-ग्रह किसी खास तरह के व्यवहार के लिए आपको उद्वेलित करता है। कई बार आप ऐसा कोई काम कर बैठते हैं जिसका आपको बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। आप आश्चर्य में पड़ जाते हैं कि आपने ऐसा किया कैसे, लेकिन वास्तव में आप यह अपने राशि ग्रह के पाप-प्रभाव स्वरूप ऐसा कर रहे होते हैं।



हर ग्रह के अपने कुछ पाप प्रभाव हैं, जो आपको कई प्रकार से झेलने पड़ते हैं। आइए जानते हैं कि अपनी राशि अनुसार किन पाप प्रभावों के शिकार बनते हैं आप। ज्योतिष शास्त्र भी यह मानता है कि आप अपने भाग्यविधाता खुद हैं। अगर आप अपने संभावित बुरे कर्म जानकर इनके प्रति सचेत रहें, तो भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं और परेशानियों से बच सकते हैं।

1. सूर्य

सिंह राशि का ग्रह है। कुंडली में सूर्य की अशुभ स्थिति होने पर इन जातकों को सिर दर्द, अवसाद, दिल के रोग, गठिया, पारिवारिक कलह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खास तौर से आपके पिता या जीवन में पिता समान किसी आदरणीय व्यक्ति से अक्सर कलह के आसार होते हैं।

2. चंद्रमा

चंद्रमा का शुभ प्रभाव व्यक्ति को रचनात्मक बनाता है, वहीं इसकी अशुभ स्थिति व्यक्ति को लोगों से अलग-थलग रहने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे लोग अपनी एक अलग ही दुनिया बना लेते हैं और उससे निकलना नहीं चाहते। इस कारण अक्सर आप अवसाद के शिकार भी हो जाते हैं। ये वात रोगों से भी जल्दी प्रभावित होते हैं। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी ग्रह है, इसलिए इस राशि के जातकों को इन परेशानियों से जूझते हुए देखा जा सकता है।

3. मंगल

मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह है। ये ऊर्जावान और जुनूनी व्यतित्व देता है। इसलिए मंगल से प्रभावित और इन दो राशियों के जातक आत्मविश्वासी होते हैं और किसी भी चीज को करने में पूरी ताकत लगा देते हैं। पर कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति व्यक्ति को हर चीज को अपने मुताबिक करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में कई बार इनकी ऊर्जा और एक्स्ट्रा एक्टिवनेस इन्हें हिंसात्मक भी बना देती है, जो इनके लिए कई प्रकार की मुसीबतें लाने की वजह बनते हैं।

4. बुध

मिथुन और कन्या राशि का ग्रह है। ये अक्सर कान और नाक संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं देता है। इन जातकों की याद्दाश्त क्षमता भी कम होती है और व्यापार में नुकसान होने की संभावना होती है। अक्सर ममेरे (मां के परिवार) रिश्तों से खटपट होती है।

5. बृहस्पति

ये व्यापार में नुकसान, विवाह में देरी, पेट की समस्याएं देता है। अक्सर ऐसे लोग किसी पर भरोसा नहीं करते।

6. शुक्र

वैवाहिक जीवन में समस्याएं होने के अलावा आप अवसाद और यकृत संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से घिरे होते हैं। धनु और वृष राशि का ग्रह होने के कारण इन दोनों राशियों वाले व्यक्तियों को अक्सर इन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

7. शनि

आपको ट्यूमर और तेज बुखार की ज्यादा समस्याएं होती हैं। आपको पेट से संबंधित बीमारियां भी परेशान करती हैं। शनि पूजा आपके लिए लाभदायक हो सकती है।

8. अरुण

ये कुंभ रशि के जातकों का राशि-ग्रह है। इन्हें त्वचा कैंसर, मस्तिष्क और पेट संबंधी परेशानियां ज्यादा होती हैं। अक्सर आपको महसूस होगा जैसे कुछ ना चाहते हुए भी आप कर रहे हैं या सही करने के प्रयासों में चीजें और बुरी हो रही हैं। यह सब आपके इस राशि-ग्रह के प्रभाव से ही होता है।

9. वरुण

मीन जातकों का राशि-ग्रह है। अक्सर इनकी मां के मायके के परिवार से रिश्तों में खटास होती है। त्वचा रोग, निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) और हृदय संबंधित रोग होते हैं। इससे बचने के लिए आपको वरुण देवता को प्रसन्न करने की पूजा करनी चाहिए।

10. राहु

ये एक छाया ग्रह है और किसी भी राशि का स्वामित्व नहीं करता है। व्यक्ति की कुंडली में इसकी अशुभ दशा होने पर यह उनमें आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ाता है। इनमें भ्रमित बुद्धि होती है अर्थात ये किसी भी चीज के लिए सही निर्णय नहीं ले पाते। अशुभ राहु सीधा तंत्रिका तंत्र पर बुरा असर करता है, इसलिए ये मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों जैसे पक्षाघात आदि का जल्दी शिकार होते हैं

11. केतु

राहु भी केतु की तरह एक छाया ग्रह ही है। इसका प्रभाव बहुत हद तक मंगल की तरह होता है। इसलिए कुंडली में राहु अशुभ होने पर यह व्यक्ति को हिंसात्मक बनाता है। ऐसे लोग गलत संगति में पड़ते हैं, जो कई बार उनके लिए घातक सिद्ध होता है। केतु का अर्थ होता है ‘ध्वज’ अर्थात ऊंचाई, इसलिए कुंडली में इसकी शुभ स्थिति जातकों को जहां कॅरियर और दूसरे क्षेत्रों में सफलता देते हुए ऊंचाइयों पर पहुंचती है, वहीं इसकी अशुभ स्थिति उतना ही पतन देती है। 

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